चतुर्मास खत्म, गूंजने लगी शहनाई, देखें कब-कब है शुभ लग्न मुहूर्त

सूर्य के वृश्चिक राशि में गोचर से खत्म हुआ खरमास, शुरू हुए मांगलिक कार्य


पटना। कार्तिक शुक्ल एकादशी बुधवार को भगवान नारायण के लगभग पांच माह के बाद निंद्रा से जागृत होते ही सनातन धर्मावलंबियों में शुभ मांगलिक कार्य आरंभ हो गए। चतुर्मास के दौरान हिंदुओं के सभी मांगलिक कार्य शादी-विवाह, जनेऊ, मुंडन तथा अन्य शुभ कृत्य बंद थे, जो देवोत्थान एकादशी से शुरू हो गए हैं। शास्त्रों में शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना बड़ा महत्वपूर्ण होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शादी के शुभ योग के लिए बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का शुभ होना जरूरी है। रवि गुरु का संयोग सिद्धिदायक और शुभफलदायी होते हैं। इन तिथियों पर शादी-विवाह को बेहद शुभ माना गया है।
25 नवंबर से बन रहे हैं विवाह के शुभ योग
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि कार्तिक शुक्ल एकादशी बुधवार 25 नवंबर को देवोत्थान एकादशी से चातुर्मास खत्म हो गया। इसके खत्म होते ही हिन्दुओं के सभी शुभ कार्य आरंभ हो गया है। सूर्य के कर्क राशि से 16 नवंबर सोमवार की रात्रि 06:32 बजे वृश्चिक राशि में प्रवेश करने के साथ ही वैवाहिक कार्य का सिलसिला भी आरंभ हो गया है। इस गोचर के बाद से हिंदुओं के सभी शुभ कार्य, जैसे शादी-विवाह, उपनयन, मुंडन और गृह प्रवेश आदि शुरू हो गए। 25 नवंबर से लेकर 30 दिसंबर तक बनारसी पंचांग के मुताबिक, वहीं मिथिला पंचाग के अनुसार नवंबर में एक भी वैवाहिक लग्न नहीं है तथा दिसंबर मास में सिर्फ 05 शुभ वैवाहिक लग्न मुहूर्त है।
ऐसे तय होते हैं शुभ लग्न-मुहूर्त
पंडित झा ने कहा कि शादी के शुभ लग्न व मुहूर्त निर्णय के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु एवं मीन लग्न में से किन्ही एक का होना जरूरी है। वहीं नक्षत्रों में से अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, चित्रा, स्वाति, श्रवणा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भद्र व उत्तरा आषाढ़ में किन्ही एक का रहना जरूरी है। अति उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा या हस्त नक्षत्र में से किन्ही एक की उपस्थिति रहने पर शुभ मुहूर्त बनता है। उन्होंने ने बताया कि यदि वर और कन्या दोनों का जन्म ज्येष्ठ मास में हुआ हो तो उनका विवाह ज्येष्ठ में नहीं होगा। तीन ज्येष्ठ होने पर विषम योग बनता है और ये वैवाहिक लग्न में निषेद्ध है। विवाह माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ एवं अगहन मास में हो तो अत्यंत शुभ होता है।
शुभ मुहूर्त के लिए ये है जरूरी
ज्योतिर्विद राकेश झा ने पंचागों के हवाले से बताया कि शादी के शुभ मुहूर्त के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु तथा मीन लग्न में से किसी एक का रहना जरूरी है। वहीं रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भाद्र, उत्तरा आषाढ़ में एक नक्षत्र की उपस्थिति अनिवार्य है। सर्व उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा और हस्त नक्षत्र का रहना जरूरी है।
इस वर्ष के वैवाहिक शुभ मुहूर्त
बनारसी पंचाग (महावीर पंचाग) के अनुसार
नवंबर : 25, 30
दिसंबर : 1,2,3,6,7,8,9,11,13
मिथिला पंचाग (विश्वविद्यालय पंचांग) के मुताबिक
दिसंबर: 6,7,10,11,14
2021 में शुभ विवाह मुहूर्त
जनवरी : 18
अप्रैल : 22,24,25,26,27,28,29,30
मई : 1,2,7,8,9,13,14,21,22,23,24,26,28,29,30
जून : 3,4,5,16,19,20,22,23,24
जुलाई : 1,2,7,13,15
नवंबर : 15,16,20,21,28,29,30
दिसंबर : 1,2,6,7,11,13

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