कृषि बिल पर कांग्रेस जैसी पार्टियां बेवजह बवाल खड़ा कर रही : नरेंद्र सिंह तोमर

पटना। भाजपा की तरफ से आयोजित किसान प्रतिनिधियों और पंचायती राज प्रतिनिधियों के साथ एक वर्चुअल सभा में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि जब नरेंद्र मोदी की सरकार बारी-बारी से स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू कर कर रही है तो कांग्रेस जैसी पार्टियां बेवजह बवाल खड़ा कर रही हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कृषि बिल पर सरकार की मंशा को स्पष्ट करने के साथ ही बिहार के किसानों तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि किसानों के हित में की गई स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को यूपीए सरकार ने बिचौलियों के दबाव में लागू करने की हिम्मत नहीं जुटाई। कृषि बिल से न सिर्फ देशभर के किसानों को फायदा होगा बल्कि बिहार के गांव, खेत-किसान खुशहाल हो सकेंगे। बतातें चलें संसद द्वारा हाल में पास किए गए तीन कृषि बिलों पर देश के विभिन्न राज्यों में किसानों व विपक्षी पार्टियों ने जमकर हंगामा किया था। इन सबके बीच बिहार में चुनाव भी हो रहे हैं।
व्यापारी और किसानों के बीच की दूरी कम होगी
केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने कृषि बिल से आए बदलाव और फायदा के बारे में कहा कि व्यापारी और किसानों के बीच की दूरी कम होगी। किसानों के उपज की खरीद के लिए व्यापारी खुद उनके घर तक आ सकेंगे। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यापारी एक गांव तक पहुंचता है तो गांव के सभी लोग अपनी उपज बेचने के लिए एक स्थान पर इकट्ठा होंगे। व्यापारी किसानों से चर्चा करने के बाद खरीद की दर तय करेगा। व्यापारी खरीद करेगा और उसे एक ट्रक में भरकर ले जाएगा। किसान को अपनी फसल की उपज बेचने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं होगी।
कांग्रेस से मांगा घोषणा पत्र को लेकर जवाब
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कांग्रेस ने 2019 के अपने घोषणा पत्र में ही स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू करने का भरोसा किसानों को दिया था। अब जब नरेंद्र मोदी की सरकार इसे लागू करने की कोशिश कर रही है तो कांग्रेस अन्य पार्टियों के साथ मिलकर जनता को भ्रमित कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर कृषि बिल गलत है तो सबसे पहले कांग्रेस को अपने घोषणापत्र में स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू करने का भरोसा दिलाने को लेकर जनता से माफी मांगनी चाहिए। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का नेतृत्व बौना हो गया है और वह न तो कृषि को समझते हैं और ना ही देश के अच्छे या बुरे को। तोमर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार सुधार लाना चाहते थे लेकिन दबाव में ऐसा नहीं कर सके।

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