अहमदाबाद में हुआ तीन दिवसीय बिहार महोत्सव का रंगारंग आगाज, देखें तस्वीरों में

अहमदाबाद/पटना। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार द्वारा अहमदाबाद (गुजरात) में शुक्रवार से तीन दिवसीय बिहार महोत्सव का भव्य शुभारंभ हुआ, जिसका उद्घाटन टैगोर हॉल में दीप प्रज्ज्वलित कर विभाग के मंत्री प्रमोद कुमार और मुख्य अतिथि खेलकूद, युवा एवं सांस्कृतिक प्रवृत्ति विभाग गुजरात सरकार के मंत्री ईश्वर सिंह पटेल ने संयुक्त रूप से किया। इस दौरान बिहार कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के प्रधान सचिव रवि परमार, अपर सचिव सह निदेशक अनिमेष कुमार परासर, विभाग के उपसचिव तारानंद वियोगी, विशेष कार्य पदाधिकारी सुनील कुमार वर्मा, अभिजीत मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन आशीष मिश्रा और रूपम ने किया।
अपने संबोधन में गुजरात सरकार के मंत्री ईश्वर सिंह पटेल ने बिहार सरकार की सराहना करते हुए बिहार महोत्सव को दो राज्यों के सांस्कृतिक समागम के लिए अति महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यह हम गुजरात वासियों सौभाग्य है कि बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की एक झलक यहां अहमदाबाद में देखने मिल रही है। हम इस आयोजन की सफलता की कामना करते हैं।


वहीं, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा कि भारतीय संस्कृति दुनिया में अद्वितीय है और भारत की अतुल्य सांस्कृतिक पहचान की हृदय स्थली बिहार है। इसकी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि अतुलनीय है। इसी विरासत के शानदार प्रस्तुति है बिहार महोत्सव, जिसका आयोजन इस वर्ष गुजरात के सांस्कृतिक राजधानी माने जाने वाले शहर अहमदाबाद में 28 फरवरी से 1 मार्च तक टैगोर हॉल में किया जा रहा है। बिहार महोत्सव की शुरूआत साल 2006-07 में कोलकाता (पश्चिम बंगाल) से हुई थी। उसके बाद भारत के अन्य राज्यों के शहरों इलाहाबाद, जयपुर, गुवाहाटी, गोवा आदि में आयोजित हो चुका है। उन्होंने कहा कि विभाग राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने और पूरे देश में एक मजबूत सांस्कृतिक जीवंतता बनाने के लिए तत्पर एवं कार्यरत है। यह आयोजन त्रिदिवसीय बिहार महोत्सव उसी का साक्ष्य है। उन्होंने आगे कहा कि इस आयोजन की एक और बड़ी विशेषता बिहारी एवं गुजराती संस्कृति का समागम है। इस मंच से जहां एक बार आप बिहार के विशिष्ट संस्कृति सांस्कृतिक कला रूपों प्रदर्शन हो रहा है, वहीं दूसरी और गुजरात के प्रसिद्ध लोक गायकी एवं नृत्य भंगिमाओं की प्रस्तुति हो रही है।
इससे पहले बिहार महोत्सव के उद्घाटन सत्र में स्वागत भाषण के दौरान कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार के प्रधान सचिव रवि परिमार ने कहा कि बिहार के गौरव में विभिन्न कलाओं और सांस्कृतिक प्रतीकों का बड़ा महत्वपूर्ण योगदान रहा है। बिहार से विलुप्त हो रही कला, धरोहर और संस्कृति का संरक्षण राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करना और राज्य के कला संस्कृति एवं युवा, खेल पुरातत्व एवं संग्रहालय के क्षेत्र में बहुआयामी विकास, विभाग का मुख्य उद्देश्य है।


सिद्धार्थ से बुद्ध तक और पहला सत्याग्रही का हुआ मंचन
उद्घाटन सत्र के बाद गुजराती नृत्य-नाटिका सिद्धार्थ से बुद्ध तक का मंचन सुमित नागदेव डांस आर्ट, मुंबई के द्वारा किया गया। इसका निर्देशन सुमित नागदेव ने किया। निर्माता फरीदा दरीवाला और अभिषेक कुमार हैं। इस नृत्य-नाटिका के जरिये भगवान बुद्ध के जीवन के 7 प्रमुख चरणों में मनोरम प्रस्तुति दी गई। इसमें बिहार की ऐतिहासिक विरासत की छाप देखने को मिली, जिस 22 नर्तक और नर्तकियों ने मिलकर प्रस्तुत किया। उसके बाद गुजराती भाषा में कई कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाने के बाद राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के कलाकारों द्वारा पहला सत्याग्रही का भी मंचन किया गया। इस नाटक के नाटककार रविंद्र त्रिपाठी हैं। निर्देशन सुरेश शर्मा ने किया। तकरीबन डेढ़ घंटे के इस नाटक का मंचन हिंदी में किया गया, जो मोहनदास करमचंद गांधी के जीवन और संघर्ष के बारे में बताया गया।
29 फरवरी को श्रीमती कुमुद झा दीवान की ठुमरी गायन, गुजराती भाषा में कार्यक्रम, निर्माण कला मंच के द्वारा विदेसिया नाटक का मंच और सत्येंद्र कुमार संगीत का लोक गायन होगा। इसके अलावा आयोजन स्थल परिसर में बिहार के व्यंजनों और क्राफ्ट की प्रदर्शनी महोत्सव का मुख्य आयोजन बनी रहेगी।

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