January 1, 2026

गया में दर्दनाक हादसा: दम घुटने से वृद्धा और दो बच्चों की मौत, ठंड के लिए जलाई थी बोरसी

गया। पूरे बिहार में इस समय कड़ाके की ठंड पड़ रही है। तापमान में लगातार गिरावट और ठंडी हवाओं के कारण आम जनजीवन प्रभावित है। ठंड से बचने के लिए लोग अलाव, अंगीठी और बोरसी जैसे साधनों का सहारा ले रहे हैं। लेकिन कई बार यही उपाय लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। गया जिले से सामने आई एक दर्दनाक घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि ठंड से बचाव में थोड़ी सी लापरवाही भी बड़ी त्रासदी में बदल सकती है।
वजीरगंज प्रखंड में दिल दहला देने वाला हादसा
गयाजी जिले के वजीरगंज प्रखंड अंतर्गत कुर्कीहार महादलित टोला क्षेत्र में ठंड से बचने के लिए जलाई गई बोरसी ने एक ही परिवार के तीन लोगों की जान ले ली। इस हादसे में एक वृद्धा और उसके दो मासूम नाती-नातिन की दम घुटने से मौत हो गई। घटना के बाद पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है और लोग इस हादसे से स्तब्ध हैं।
मृतकों की पहचान और पारिवारिक स्थिति
इस दर्दनाक हादसे में मृतकों की पहचान साठ वर्षीय मीना देवी, उनकी छह वर्षीय नातिन आंशी और पांच वर्षीय नाती सुजीत के रूप में हुई है। मीना देवी अपने परिवार के साथ कुर्कीहार में रहती थीं। उनकी बेटी काजल देवी पिछले दो महीने से अपने बच्चों के साथ मायके में रह रही थीं। काजल देवी के पति सुदेशी मांझी चेन्नई में मजदूरी करते हैं, जबकि मीना देवी के पति गांगो मांझी और उनके बेटे जितेंद्र मांझी तथा बालम मांझी रोजी-रोटी के सिलसिले में ईंट भट्ठों पर काम करने बाहर गए हुए हैं।
रात में बंद कमरे में जलाई गई बोरसी
जानकारी के अनुसार, मंगलवार की रात परिवार के चार सदस्य एक ही कमरे में सो रहे थे। कड़ाके की ठंड से बचने के लिए कमरे के अंदर बोरसी जलाई गई थी। ठंड के कारण दरवाजे और खिड़कियां पूरी तरह बंद कर दी गई थीं। बंद कमरे में जल रही बोरसी से निकलने वाली गैस धीरे-धीरे कमरे में भरती चली गई और ऑक्सीजन की मात्रा कम हो गई। इसी कारण मीना देवी, आंशी और सुजीत की दम घुटने से मौत हो गई।
सुबह सामने आया दर्दनाक सच
इस हादसे का पता बुधवार की सुबह तब चला, जब उसी कमरे में सो रही काजल देवी की नींद खुली। उन्होंने अपनी मां और बच्चों को जगाने की कोशिश की, लेकिन तीनों कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे थे। घबराई काजल देवी ने आसपास के लोगों को बुलाया और तुरंत एक चिकित्सक को सूचना दी गई। मौके पर पहुंचे डॉक्टर ने जांच के बाद मीना देवी समेत दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया। यह सुनते ही परिवार और गांव में कोहराम मच गया।
गांव में पसरा मातम और सन्नाटा
एक साथ तीन लोगों की मौत की खबर फैलते ही कुर्कीहार महादलित टोला में मातमी सन्नाटा छा गया। गांव के लोग शोक में डूबे हुए हैं। हर किसी की आंखें नम हैं और लोग इस हादसे को लेकर गहरी चिंता जता रहे हैं। गरीब परिवार पर यह दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, क्योंकि घर के कमाने वाले सदस्य पहले से ही बाहर काम करने गए हुए हैं और पीछे घर में यह दर्दनाक घटना हो गई।
पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे
गौर करने वाली बात यह है कि वजीरगंज प्रखंड में यह पहली ऐसी घटना नहीं है। महज 15 दिन पहले ही इसी प्रखंड के दखिनगांव इलाके में बोरसी से दम घुटने के कारण दो लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद लोग ठंड से बचने के लिए बंद कमरों में बोरसी और अंगीठी जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। लगातार हो रही ऐसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि लोगों में जागरूकता की भारी कमी है।
प्रशासन और समाज के लिए चेतावनी
यह हादसा केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे समाज और प्रशासन के लिए एक गंभीर चेतावनी है। ठंड के मौसम में गरीब और ग्रामीण इलाकों में लोग सुरक्षित हीटिंग साधनों के अभाव में बोरसी और अंगीठी का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इनके सही उपयोग और सावधानियों की जानकारी न होने के कारण ऐसे हादसे हो जाते हैं।
ठंड से बचाव में बरतें सावधानी
विशेषज्ञों का कहना है कि बंद कमरे में कभी भी बोरसी या अंगीठी जलाकर नहीं सोना चाहिए। यदि इनका उपयोग जरूरी हो, तो कमरे में हवा के आने-जाने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। बच्चों और बुजुर्गों के मामले में अतिरिक्त सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। प्रशासन और सामाजिक संगठनों को भी चाहिए कि वे गांव-गांव जाकर लोगों को ठंड से सुरक्षित बचाव के तरीकों के प्रति जागरूक करें।
एक दर्दनाक सीख
गया की यह घटना एक बार फिर यह सिखाती है कि ठंड से बचने के प्रयास में की गई छोटी सी लापरवाही कितनी बड़ी कीमत वसूल सकती है। जब तक लोग सतर्क नहीं होंगे और सुरक्षित उपाय नहीं अपनाएंगे, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराती रहेंगी। कुर्कीहार की इस त्रासदी ने पूरे इलाके को गहरे शोक में डुबो दिया है और यह ठंड के मौसम में सावधानी बरतने की एक कड़वी याद बन गई है।

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