शेखपुरा में दम घुटने से एक परिवार के तीन लोग बेहोश, मां की हालत गंभीर, अस्पताल में भर्ती
- ठंड से बचने के लिए कमरे में जलाई थी आग, धुएं से कम हुई ऑक्सीजन की मात्रा, ताला तोड़कर घर में घुसी पुलिस
शेखपुरा। बिहार के शेखपुरा जिले से एक बेहद गंभीर और चेतावनी देने वाली घटना सामने आई है। ठंड से बचने के लिए कमरे के अंदर जलाई गई बोरसी ने एक परिवार को मौत के करीब पहुंचा दिया। बोरसी से निकले धुएं के कारण बंद कमरे में ऑक्सीजन की मात्रा तेजी से कम हो गई, जिससे एक ही परिवार के तीन लोग बेहोश हो गए। इस हादसे में मां की हालत गंभीर बताई जा रही है, जबकि दोनों बेटों का इलाज अस्पताल में चल रहा है।
घटना का स्थान और परिवार की स्थिति
यह घटना शेखपुरा नगर क्षेत्र के कटरा चौक के पास की है। यहां किराए के मकान में पुतुल देवी अपने दो बेटों राकेश कुमार और रोशन कुमार के साथ रहती थीं। ठंड से बचाव के लिए परिवार ने रात में कमरे के अंदर बोरसी जलाई थी। दरवाजे और खिड़कियां बंद होने के कारण धीरे-धीरे कमरे में धुआं भर गया और ऑक्सीजन की कमी होने लगी। इसी वजह से तीनों की हालत बिगड़ती चली गई और वे बेहोश हो गए।
सुबह काम पर नहीं पहुंचा बेटा, बढ़ी चिंता
घटना का खुलासा तब हुआ जब रोशन कुमार तय समय पर काम पर नहीं पहुंचा। रोशन रोज सुबह करीब आठ बजे गोला रोड स्थित हीरा साहू की दुकान पर काम करने जाता है। शुक्रवार सुबह जब वह दुकान नहीं पहुंचा और उसका मोबाइल फोन भी बंद मिला, तो दुकान मालिक को अनहोनी की आशंका हुई। कई बार फोन लगाने के बाद भी जब कोई जवाब नहीं मिला, तो दुकान मालिक ने स्थानीय वार्ड पार्षद दीपक बाबू को इसकी जानकारी दी।
दरवाजा न खुलने पर पुलिस को दी गई सूचना
दुकान मालिक और वार्ड पार्षद जब रोशन के कमरे पर पहुंचे तो बाहर से दरवाजा बंद मिला। उन्होंने काफी देर तक दरवाजा खटखटाया, लेकिन अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इस स्थिति को गंभीर मानते हुए तुरंत पुलिस को सूचना दी गई। सूचना मिलते ही टाउन थाना पुलिस और डायल 112 की टीम मौके पर पहुंची।
पुलिस ने ताला तोड़कर बचाई जान
पुलिस ने सबसे पहले नीचे का ताला तोड़ा, लेकिन अंदर से दरवाजा नहीं खुला। इसके बाद पुलिसकर्मी छत के रास्ते कमरे में दाखिल हुए। जैसे ही कमरे का दरवाजा खोला गया, अंदर धुएं का गुबार फैला हुआ मिला। कमरे के भीतर पुतुल देवी और उनके दोनों बेटे बेहोशी की हालत में पड़े थे। स्थिति बेहद नाजुक थी, क्योंकि लंबे समय तक धुएं में रहने से उनकी सांसें प्रभावित हो चुकी थीं।
तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया
पुलिस ने बिना देरी किए तीनों को बाहर निकाला और एंबुलेंस के जरिए सदर अस्पताल, शेखपुरा भेजा। अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार शुरू किया। जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया कि पुतुल देवी की हालत गंभीर है, क्योंकि उन्होंने अधिक मात्रा में धुआं अंदर ले लिया था। हालत को देखते हुए उन्हें बेहतर इलाज के लिए पावापुरी रेफर कर दिया गया। वहीं राकेश कुमार और रोशन कुमार का इलाज सदर अस्पताल में जारी है और उनकी स्थिति फिलहाल स्थिर बताई जा रही है।
अस्पताल में जुटी लोगों की भीड़
घटना की जानकारी मिलते ही अस्पताल परिसर में लोगों की भीड़ जुट गई। आसपास के लोग और रिश्तेदार परिवार की स्थिति जानने के लिए अस्पताल पहुंचने लगे। सभी इस बात से हैरान थे कि ठंड से बचने के लिए किया गया एक छोटा सा इंतजाम इतना बड़ा हादसा बन सकता था। स्थानीय लोगों ने बताया कि सर्दी के मौसम में कई लोग बंद कमरों में बोरसी या अंगीठी जलाते हैं, लेकिन इसके खतरे को गंभीरता से नहीं लेते।
प्राथमिक जांच में क्या आया सामने
पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि हादसा पूरी तरह से दुर्घटनावश हुआ। बंद कमरे में बोरसी जलने से कार्बन मोनोऑक्साइड और धुएं का स्तर बढ़ गया, जिससे ऑक्सीजन की मात्रा कम हो गई। इसी कारण तीनों का दम घुटने लगा और वे बेहोश हो गए। पुलिस ने कहा है कि मामले की विस्तृत जांच की जा रही है, हालांकि अभी तक किसी तरह की आपराधिक लापरवाही के संकेत नहीं मिले हैं।
सर्दी में बरतने की जरूरत सावधानी
यह घटना एक बार फिर यह चेतावनी देती है कि ठंड के मौसम में बंद कमरे में अंगीठी, बोरसी या कोयला जलाना कितना खतरनाक हो सकता है। थोड़ी सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना जरूरी हो, तो कमरे में हवा के आने-जाने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही सोते समय इनका इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
प्रशासन और पुलिस की अपील
पुलिस और प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे ठंड से बचने के लिए सुरक्षित उपाय अपनाएं। खासकर छोटे कमरों या बंद जगहों में आग जलाने से बचें। यदि किसी घर में इस तरह की व्यवस्था की जा रही हो, तो समय-समय पर कमरे की जांच करते रहें और किसी भी तरह की असहज स्थिति में तुरंत बाहर निकलें। शेखपुरा की यह घटना भले ही एक दुर्घटना रही हो, लेकिन यह पूरे समाज के लिए एक बड़ी सीख है। ठंड से बचने के लिए अपनाए गए गलत तरीके कैसे जानलेवा बन सकते हैं, इसका यह जीता-जागता उदाहरण है। समय रहते पुलिस और स्थानीय लोगों की सतर्कता से एक परिवार की जान बच गई, लेकिन यह जरूरी है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए लोग पहले से ही सावधान रहें।


