बिहार के इस जगह अनोखें रूप में मनाया जाता है दिवाली का त्यौहार, 2 दिनों की होती है दिवाली, दुसरे दिन लोग करते है मांस-मछली का सेवन

बिहार। देश में दुर्गा पूजा आते ही दिवाली और छठ की भी शुरूआत होने लगती हैं। बता दे कि लोग दिवाली को लेकर उत्साहित दिखाई देते है, जहाँ पर लोग खरीदारी करते है इसके साथ साथ लोग मिठाइयां और पठाखे भी खरीदते है। वही दूसरी तरफ बिहार में एक जगह पर अनोखी प्रकार की दिवाली देखने को मिलती हैं। बता दे कि बिहार के पश्चिम चंपारण के बगहा दो गांव रामनगर और गौनाहा के करीब करीब 199 गांवों में तकरीबन दो लाख 50 हजार थारू जनजाति के लोग रहते हैं। और यहाँ पर दिवाली दो दिनों तक धूम धाम से मानते हैं।

बता दे कि जहाँ पर पहले दिन अन्न, जल के साथ साथ अग्निदेव की पूजा होती है। इस दिन पूर्वजों की तेरहवीं करते हैं। यह जनजाति अपने गुजरे हुए परिजनों की याद में पुतला बनाकर पूजा-अर्चना कर श्रद्धांजलि देती है। इसके बाद बड़ी रोटी अर्थात खाने का कार्यक्रम होता है। इसमें नमक छोड़कर बाकी सभी सामग्री की व्यवस्थाये अपने खेत से पैदा अन्न से करते हैं। इसमें सिर्फ निकट संबंधियों सहित परिवार के लोग ही शामिल होते हैं।

वही दूसरे दिन सोहराई होता है। इस दिन मांस और मदिरा के सेवन की परंपरा है। लेकिन, शराबबंदी के बाद सिर्फ मांस और मछली का भोज ही होता है। इसके साथ साथ ही सोहराई के दिन हर घर में मांस-मछली और गोजा, पिट्ठा बनाने का रिवाज है।

About Post Author

You may have missed