तेजप्रताप की बोली ‘चुभती’ जरूर है,मगर कोई ‘सीरियसली’ नहीं लेता,रघुवंश सिंह पर दिए गए बयान को लेकर किच-किच
पटना।राजद सुप्रीमो लालू यादव के बड़े बेटे पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव में एक बड़ी खासियत यह भी है कि विपक्ष पर बरसते-बरसते कब अपनी पार्टी के लोगों पर बरस जाएं,कोई कह नहीं सकता।अब पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह पर दिए गए तेज प्रताप के बयान ने राजनीति के गलियारों में भले ही बवंडर का रूप ले लिया हो।मगर राजद के अंदर इसका बहुत बड़ा प्रभाव बनता नहीं दिखता।राजद के वरिष्ठ नेताओं समेत अधिकांश सक्रिय लालू समर्थक यह बात जानते हैं की तेजप्रताप यादव के बयान चुभते जरूर हैं।मगर यहां हर कोई उन्हे सीरियसली नहीं लेता है।जानकारों का मानना है कि अगर पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव के बयान को राजद में हर कोई सीरियसली लेने लगे तो पार्टी से बाहर जाने वाले लोगों की कतार लग जाएगी।क्योंकि बयान देने के क्रम में अक्सर पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव की जुबान फिसल जाया करती है।हालांकि शुरुआत में तेजप्रताप यादव के बयानों से आहत होकर कतिपय नेताओं ने भले ही राजद का हाथ छोड़ दिया हो।मगर बाद में राजद के अधिकांश नेताओं ने मन ही मन यह स्वीकार कर लिया है कि तेज प्रताप यादव चाहे जो बोल लें।मगर तेजस्वी के दृष्टिकोण से ही पार्टी में रहना न रहना सुनिश्चित होना है।एक तरफ नेता प्रतिपक्ष यादव नाराज रघुवंश प्रसाद सिंह को मनाने के लिए जोर लगाए हुए हैं।यहां तक की एम्स में जाकर भी उनसे मिले। वहीं दूसरी तरफ पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह को अभिभावक तुल्य बताते- बताते पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव की जुबान फिसल गई तथा उनकी तुलना उन्होंने समुद्र के एक लोटा पानी से कर दी।हालांकि अपने बयान का मतलब समझने के बाद तेजप्रताप यादव ने इसे संभालने के भी भरसक कोशिश की।मगर मीडिया में बात जाने के बाद उस का बतंगड़ बनना भी तय माना जाता है। वैसे राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और ऐसे में लालू के जेष्ठ पुत्र तेजप्रताप यादव अपनी जुबान की फिसलन को काबू में नहीं रखते हैं तो पार्टी को बार-बार बैकफुट में आना होगा।