पालीगंज : स्थानीय शिक्षकों की नियुक्ति के कारण विद्यालयों में शिक्षण कार्य ठप

  • नहीं होती है विद्यालयों की जांच, मौज में है शिक्षक

पालीगंज। पटना के पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र के 90 प्रतिशत सरकारी विद्यालयों में स्थानीय शिक्षकों के नियुक्ति के कारण शिक्षण कार्य ठप है। उन विद्यालयों की जांच भी नहीं के बराबर होती है, जिससे शिक्षक मौज में हंै।
जानकारी के अनुसार, पालीगंज अनुमंडल सहित लगभग अधिकांश क्षेत्रों के सरकारी विद्यालयों में स्थानीय शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। जिसके कारण शिक्षक अपने घर के कार्यों को प्राथमिकता देते हुए अपना घर का कार्य समाप्त कर मनमाने तरीके से देर से विद्यालय पहुंचते हैं। जबकि आपस में शिक्षकों ने मिलकर अपना शिड्यूल बना लिया है। जिसके अनुसार शिक्षक प्रतिदिन 50 प्रतिशत उपस्थिति के साथ विद्यालय पहुंचते हैं। जहां शिक्षक क्लास रूम में कम तथा कार्यालयों में बैठकर गप करते या मोबाइल चलाते देखे जाते हैं। इन वजहों से अविभावक अपने बच्चों की भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं व निजी विद्यालयों में बच्चे को भेजने पर मजबूर है। कुछ बच्चे सरकारी विद्यालयों में जाते भी हैं तो वे पढ़ने के बजाए खेलते नजर आते हैं। जबकि एमडीएम की भी गुणवत्ता ठीक नहीं होती है। स्थानीय शिक्षक होने के कारण विवाद से बचने को लेकर कोई अविभावक भी शिक्षकों को कुछ कह नहीं पाते। बच्चे जब उन शिक्षकों से कुछ पूछते भी है तो डांट कर चुप कर देते हैं। ऐसे में क्या होगा बच्चों के साथ-साथ सरकारी विद्यालयों के भविष्य का?
कुछ लोगो का कहना है कि पालीगंज प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को सभी विद्यालयों की रिपोर्ट कार्यालय में बैठे-बैठे ही प्राप्त हो जाती है। जिनकी लापरवाही से शिक्षक मनमानी कर रहे हैं। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी विद्यालयों की जांच नहीं करते। कभी कभार करते भी हैं तो शिक्षकों के विरुद्ध कोई कार्यवाई नहीं करते। जिसके कारण सभी विद्यालयों के शिक्षक मौज में रहते हैं। वही इस संबंध में जानकारी के लिए दो बार कॉल किये जाने पर पालीगंज प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सरस्वती पांडेय का मोबाइल व्यस्त था।

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