मुजफ्फरपुर के बीआरएबीयू यूनिवर्सिटी का अजीब खेल, छात्र को दिए 100 अंकों में से 101 मार्क्स, मार्कशीट वायरल

मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर स्थित बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय (बीआरएबीयू) एक बार फिर अपने अजीबोगरीब कारनामे के कारण चर्चा में है। इस बार मामला एक छात्र को सौ अंकों की परीक्षा में 101 अंक देने का है, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस घटना ने विश्वविद्यालय की कार्यशैली और परिणाम प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अंकपत्र में तकनीकी चूक या लापरवाही?
यह मामला बीए बीएड चार वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स से संबंधित है। यह कोर्स विश्वविद्यालय द्वारा संचालित 2021-25 सत्र के तहत आता है। चौथे सेमेस्टर की मार्कशीट में एक छात्र को 100 में से 101 अंक दे दिए गए हैं। यह त्रुटि महज एक टाइपो हो सकती है, लेकिन यह विश्वविद्यालय की नीतियों और मूल्यांकन प्रणाली की गंभीरता पर प्रश्नचिन्ह लगा देती है। छात्र के इस अंकपत्र की तस्वीर शुक्रवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिससे यह मामला सार्वजनिक चर्चा का विषय बन गया।
कॉलेजों को दी गई अस्थायी मान्यता
बीआरएबीयू के अंतर्गत कई कॉलेज कार्यरत हैं। इनमें से दो कॉलेजों को विश्वविद्यालय से अस्थायी संबंधन प्राप्त हुआ है। पश्चिम चंपारण के राजपुर, गौनाहा स्थित संस्कार भारती स्कूल ऑफ एजुकेशन को आर्ट्स स्ट्रीम में 16 विषयों में अस्थायी नव-संबंधन दिया गया है। इसके अतिरिक्त निशा डिग्री कॉलेज, कटहरी, साठी को 2025-29 सत्र के लिए कला संकाय के सात विषयों में अस्थायी संबंधन प्राप्त हुआ है। इन दोनों कॉलेजों की मान्यता के लिए सरकार के उप सचिव अमित कुमार पुष्पक की ओर से विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को पत्र भी भेजा गया है।
छात्रों का नाराजगी भरा रुख
इस अजीबो-गरीब गलती से न केवल छात्र हैरान हैं, बल्कि उनमें नाराजगी भी देखने को मिल रही है। छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय की ऐसी लापरवाहियां उनके करियर को प्रभावित कर सकती हैं। कुछ छात्रों ने यह भी सवाल उठाया कि अगर अंकपत्र में इतनी बड़ी गलती हो सकती है, तो अन्य विषयों या परीक्षाओं में भी गड़बड़ी की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।
विश्वविद्यालय की छवि पर असर
बीआरए बिहार यूनिवर्सिटी पहले भी कई बार अपनी त्रुटिपूर्ण कार्यप्रणालियों के कारण विवादों में रहा है। इस ताजा घटना ने एक बार फिर इसकी साख को नुकसान पहुंचाया है। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अब तक इस मामले पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, जिससे छात्रों की चिंता और अधिक बढ़ गई है। यह पूरा प्रकरण इस बात का प्रतीक है कि उच्च शिक्षा संस्थानों में पारदर्शिता और जिम्मेदारी कितनी आवश्यक है। एक छोटी सी गलती भी छात्रों के भविष्य पर बड़ा असर डाल सकती है, इसलिए आवश्यक है कि विश्वविद्यालय अपनी मूल्यांकन प्रणाली की समीक्षा करे और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करे।

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