राज्यों की सहायता के लिए 50 वर्षों के लिए एक लाख करोड़ के ब्याजमुक्त ऋण का प्रावधान स्वागतयोग्य : उमेश कुशवाहा

  • केन्द्र सरकार के बजट पर प्रदेश जदयू अध्यक्ष की प्रतिक्रिया

पटना। बिहार प्रदेश जदयू अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने केन्द्र सरकार द्वारा पेश किए गए साल 2022-23 के बजट को स्वागतयोग्य बताया है। अपने बयान में उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में तमाम संकटों के बावजूद हमारी अर्थव्यवस्था मजबूती की ओर अग्रसर है और सरकार ने इस बजट में आत्मनिर्भर भारत के अपने संकल्प को ध्यान में रखते हुए अगले 25 साल का ब्लूप्रिंट पेश किया है, यह प्रसन्नता की बात है। इस बजट में युवाओं, महिलाओं और किसानों पर फोकस किया गया है।
श्री कुशवाहा ने आगे कहा कि बिहार हर तरह से विशेष राज्य का दर्जा पाने का हकदार है। हमलोग इसके लिए लगातार मांग कर रहे हैं। अगर विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज मिले तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में जो विकास कार्य हुए हैं उसको और गति मिलेगी। उम्मीद है कि निकट भविष्य में केन्द्र जरूर इस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगा। वैसे इस बजट में राज्य सरकारों को केन्द्रीय करों की हिस्सेदारी के रुप में इस वर्ष एवं अगले वर्ष अधिक राशि देने की बात कही गई है। इससे राज्य सरकारों की वित्तीय कठिनाईयां कम होंगी और राज्यों को राहत मिलेगी।
श्री कुशवाहा ने कहा कि इस बजट में अगले पांच साल में 60 लाख नई नौकरियां देने, अगले तीन साल में 400 वंदे भारत ट्रेनें चलाने और अगले एक साल में 25 हजार किमी नेशनल हाइवे बनाने की घोषणा उत्साहजनक है। गांवों और शहरों में 80 लाख नए मकान बनाने की घोषणा से हमारे गरीब भाई-बहनों को राहत मिलेगी। महिलाओं के लिए तीन नई योजनाएं शुरू की जा रही हैं। किसानों को डिजिटल सर्विस देने, आॅर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने, दलित किसानों की मदद करने और 2023 को मोटा अनाज वर्ष घोषित करने से कृषि क्षेत्र को लाभ मिलेगा। डिजिटल विश्वविद्यालय की घोषणा, शहरों में ई-वाहनों को बढ़ावा देना तथा ब्रॉडबैंड सुविधा को गांवों तक पहुंचाना समयानुरूप है।
श्री कुशवाहा ने कहा कि बजट में पूंजीगत निवेश के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता की योजना के तहत पूर्व के 10 हजार करोड़ के प्रावधान को बढ़ाकर 15 हजार करोड़ किया गया है। इसी तरह अर्थव्यवस्था में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए राज्यों की सहायता हेतु एक लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। ये 50 वर्षीय ब्याजमुक्त ऋण पूर्व से चल रही सामान्य कर्ज योजना के अतिरिक्त है। ये बातें स्वागतयोग्य हैं, लेकिन पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए जिस तरह नई योजना प्रधानमंत्री पूर्वोत्तर विकास योजना के नाम से शुरू की जा रही है और इसके लिए आरंभिक तौर पर 1500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया जा रहा है, उसी तरह अगर बिहार का भी विशेष ध्यान रखा जाता तो हमें अधिक खुशी होती।

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