December 10, 2025

पटना जू में ठंड में जानवरों की खास व्यवस्था: हाथी को तेल मालिश, गुड़ की खीर खा रहा भालू, हीटर का भी इंतजाम

पटना। पटना जू में इस समय ठंड का मौसम वन्यजीवों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। शीतलहर की तीव्रता लगातार बढ़ रही है और ऐसे में सबसे अधिक प्रभावित वे जीव होते हैं जो प्राकृतिक रूप से गर्म इलाकों के अभ्यस्त हैं। यही कारण है कि पटना जू प्रशासन ने जानवरों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और आराम को ध्यान में रखते हुए विशेष इंतजाम किए हैं। इन इंतजामों में उनके आहार से लेकर रहने की व्यवस्था और तापमान नियंत्रण तक हर पहलू को बारीकी से शामिल किया गया है।
हाथियों के लिए विशेष देखभाल
हाथी ठंड को सहन अवश्य कर लेते हैं, लेकिन अत्यधिक शीतलहर से उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए जू प्रशासन उनके लिए सरसों तेल की मालिश की व्यवस्था कर रहा है। नियमित अंतराल पर मालिश करने से हाथियों के शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है और शरीर गर्म रहता है। भोजन में भी बदलाव किए गए हैं। हाथियों को गन्ना, सोयाबीन, धान उबालकर और मौसमी फल दिए जा रहे हैं, ताकि उन्हें पर्याप्त ऊर्जा और गर्माहट मिल सके।
मांसाहारी वन्यजीवों के भोजन में बढ़ोतरी
जू में मौजूद मांसाहारी जीव जैसे शेर, बाघ, तेंदुआ आदि को अतिरिक्त आहार दिया जा रहा है। ठंड में इनके शरीर की ऊर्जा खपत बढ़ जाती है, ऐसे में उन्हें पहले से अधिक भोजन की आवश्यकता होती है। इसके अलावा सभी जानवरों को मल्टीविटामिन और कैल्शियम सप्लीमेंट दिए जा रहे हैं, ताकि वे मौसम के प्रतिकूल असर से सुरक्षित रह सकें। पशु-चिकित्सकों की एक टीम लगातार इन जानवरों के स्वास्थ्य की निगरानी कर रही है।
पक्षियों के लिए सुरक्षित वातावरण
पक्षियों के इंक्लोजर में ठंड से बचाव के लिए प्लास्टिक शीट्स और एग्रोनेट लगाए गए हैं। यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि उनके बाड़ों में हवा की गति कम हो जाए, लेकिन रोशनी और वेंटिलेशन की जरूरत भी बनी रहे। पक्षियों के लिए यह मौसम काफी संवेदनशील होता है, इसलिए तापमान को नियंत्रित रखना आवश्यक होता है। प्लास्टिक शीट्स सर्द हवाओं को रोकने में काफी सहायक सिद्ध हो रही हैं।
प्राइमेट प्रजातियों के लिए गर्माहट
बंदर, लंगूर, चिम्पांजी और हूलॉक गिब्बन जैसे जानवर ठंड के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। ऐसे में उनके लिए विशेष रूप से कंबल उपलब्ध कराए गए हैं। चिम्पांजी के आहार में भी गर्माहट देने वाले खाद्य पदार्थ शामिल किए गए हैं, जैसे च्यवनप्राश, शहद, गुड़ की खीर, आंवला का मुरब्बा और ताजे मौसमी फल। इससे उन्हें ऊर्जा मिलती है और शरीर प्राकृतिक रूप से गर्म रहता है।
सरीसृपों के सेल में विशेष तापमान नियंत्रण
अजगर, कोबरा, धामिन और अन्य सरीसृप प्रजातियों के लिए अत्यधिक ठंड खतरनाक हो सकती है। ठंड में इनके शरीर का तापमान बहुत कम हो जाता है, जिससे उनका मूवमेंट और पाचन तंत्र प्रभावित होने लगता है। इसे ध्यान में रखते हुए उनके बाड़ों में फर्श पर कंबल बिछाए गए हैं और तापमान को नियंत्रित रखने के लिए बल्ब लगाए गए हैं। सरीसृपों के लिए यह कृत्रिम तापमान नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि वे बाहरी तापमान पर निर्भर रहते हैं।
भालू सहित अन्य जीवों के लिए आहार में बदलाव
भालू के आहार में शहद, अंडा, गुड़ की खीर और गन्ना शामिल किए गए हैं। ये खाद्य पदार्थ न केवल ऊर्जा प्रदान करते हैं, बल्कि शरीर की गर्मी भी बनाए रखते हैं। इसी तरह अन्य जानवरों के भोजन में भी ऐसे पदार्थ जोड़े गए हैं, जो उन्हें ठंड से लड़ने में मदद करते हैं। यह दिया जाने वाला अतिरिक्त आहार उनकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
नाइट हाउस की व्यवस्था मजबूत
सभी नाइट हाउस की खिड़कियों और वेंटिलेशन की खुली जगहों को फूस, घास और बांस की चचरी से ढका गया है, ताकि बाहर की ठंडी हवा अंदर न जा सके। प्रत्येक नाइट हाउस में लकड़ी के प्लेटफार्म रखे गए हैं, ताकि जानवर ठंडी जमीन पर न बैठें। कई सेल में ऑयल हीटर भी लगाए गए हैं, जिससे तापमान सुरक्षित सीमा में बना रहे। इस तरह की व्यवस्था से रात के समय जानवरों को आरामदायक और गर्म माहौल मिलता है।
लगातार निगरानी और स्वास्थ्य सुरक्षा
पटना जू प्रशासन ने सभी जानवरों को 24 घंटे निगरानी में रखा है। पशु चिकित्सकों की टीम नियमित जांच कर रही है और किसी भी प्रकार की असामान्यता पर तुरंत ध्यान दिया जा रहा है। ठंड का मौसम जू प्रबंधन के लिए चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन इन व्यवस्थित तैयारियों से जानवरों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित किया जा रहा है। इन सभी उपायों का उद्देश्य यही है कि शीतलहर के प्रभाव में किसी भी वन्यजीव को स्वास्थ्य संबंधी संकट का सामना न करना पड़े। पटना जू की यह पहल जीव संरक्षण और उनकी देखभाल का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है।

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