पटना में बाढ़ के बीच सांपों का आतंक जारी, 1 महीने में 62 से अधिक सर्पदंश के शिकार
पटना। पटना जिले में पिछले एक महीने के अंदर सर्पदंश के मामलों में भारी वृद्धि देखी गई है। अब तक करीब 62 लोग सांप के डंस का शिकार हो चुके हैं, जिनमें से पांच लोगों की मौत हो गई है। हालांकि, 57 से अधिक मरीजों का इलाज कर उनकी जान बचा ली गई। गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचने से पहले ही कुछ लोगों ने दम तोड़ दिया। बारिश के मौसम और गंगा के बढ़ते जलस्तर के चलते पटना और पूरे बिहार में सर्पदंश की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में रोजाना दो से तीन मरीज सर्पदंश के शिकार होकर पहुंच रहे हैं। यह संख्या सामान्य दिनों की तुलना में काफी अधिक है। विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश के मौसम में सांप अपने बिलों से बाहर निकल आते हैं, जिससे लोगों के सर्पदंश का शिकार होने की संभावना बढ़ जाती है। जुलाई से अक्टूबर के बीच सर्पदंश के मामलों में सबसे ज्यादा वृद्धि देखी जाती है। बिहार में सांपों की 150 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से केवल 6 प्रजातियां ही जहरीली होती हैं। इनमें कोबरा (नाग), रस्सेल वाइपर, स्केल्ड वाइपर और करैत प्रमुख हैं। पटना के शहरी इलाकों में सांपों की संख्या कम है, लेकिन ग्रामीण इलाकों, खासकर मोकामा और बाढ़ के टाल क्षेत्र में सांप अधिक पाए जाते हैं। जमुई और चंपारण जिले भी सांपों की अधिकता के लिए जाने जाते हैं। सांप काटने के बाद सावधानी बरतना जरूरी है। जख्म को साबुन और पानी से धोएं, और यदि रंग बदलने लगे तो यह सांप के जहरीले होने का संकेत हो सकता है। बर्फ का उपयोग न करें और मरीज का तापमान, नब्ज और रक्तचाप का ध्यान रखें। जहरीले सांप काटने पर शरीर में सूजन, दर्द, ऐंठन, उल्टी, कपकपी और अन्य लक्षण दिखाई दे सकते हैं। पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. आईएस ठाकुर के अनुसार बरसात के दिनों में सर्पदंश के मामले बढ़ जाते हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों से ज्यादा केस आते हैं। अस्पताल प्रशासन को इस स्थिति के मद्देनजर अलर्ट किया गया है और सभी आवश्यक दवाएं एवं सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि सांप के काटने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें और घरेलू उपचार से बचें।