कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया ने ली शपथ, डीके शिवकुमार बने डिप्टी सीएम

  • शपथ ग्रहण समारोह में देश के विपक्षी नेताओं का लगा जमघट, राहुल-प्रियंका, नीतीश तेजस्वी समेत कई रहे मौजूद

बेंगलुरु। कर्नाटक में नई सरकार का गठन हो गया है। कांग्रेस के दिग्गज नेता सिद्धारमैया ने कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। शनिवार को कर्नाटक के राज्यपाल ने सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। सिद्धारमैया दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री चुने गए हैं। नई सरकार में कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। शनिवार को शिवकुमार ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली। वही शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी मौजूद रहे। वहीं, अन्य दिग्गज नेता भी उपस्थित हैं। कर्नाटक में आज मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के समेत कांग्रेस के आठ वरिष्ठ विधायक के मंत्री पद की शपथ लेंगे। बिहार के सीएम नीतीश कुमार, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी बेंगलुरु में नव-निर्वाचित कर्नाटक सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। जातिवार, क्षेत्रवार और वरिष्ठता के आधार पर पहले चरण में 8 विधायकों को मंत्री बनने का मौका मिला। पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष रामलिंगारेड्डी, सतीश जराकीहोली, पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. जी परमेश्वर, पूर्व केंद्रीय मंत्री केएच मुनियप्पा, केपीसीसी चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष एमबी पाटिल, पूर्व मंत्री केजे जॉर्ज, जमीर अहमद मंत्री के रूप में शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन कंटीरवा स्टेडियम में किया गया है। कांग्रेस ने हिंदुत्व की छवि रखने वाले डीके शिवकुमार को ना चुनकर सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया है। डीके शिवकुमार मुख्यमंत्री की कुर्सी के प्रमुख दावेदार थे, मगर कांग्रेस का निर्णय सिद्धारमैया के पक्ष में रहा। माना गया है कि शिवकुमार की ‘कट्टर हिंदू’ वाली छवि के चलते ही उन्हें सीएम पद के लिए कांग्रेस आलाकमान का समर्थन नहीं मिल पाया, जबकि सिद्धारमैया की छवि आलाकमान के दायरे में फिट बैठी है।


2013 में पहली बार बने मुख्यमंत्री, हिंदू विरोधी मानी जाती है सिद्धारमैया की छवि
सिद्धारमैया की छवि हिंदू विरोधी मानी जाती है। ऐसा इसलिए कि कई मौकों पर उन्होंने खुद हिंदूओं के खिलाफ बयानबाजी की थी। सिद्धारमैया ने खुद ही अपने आप को हिंदुत्व विरोधी बताया था और कहा था कि हिन्दुत्व हत्या, हिंसा और भेदभाव का समर्थन करता है। कर्नाटक के कुरुबा समुदाय से आने वाले सिद्धारमैया पर समाज को बांटने के आरोप भी लग चुके हैं। 12 अगस्त 1948 को मैसूर के सिद्दरामनहुंडी गांव में जन्मे सिद्धारमैया एक किसान परिवार से आते हैं। सिद्धारमैया के राजनीतिक करियर की बात करें तो वो 2013 में पहली बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने। सिद्धारमैया ने राज्य के वित्तमंत्री और डिप्टी सीएम भी रह चुके हैं। पेशे से वकील सिद्धारमैया ने 1978 में राजनीति की ओर अपना रुख किया। 9वीं बार सिद्धारमैया विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं। इस बार उन्होंने मैसूर क्षेत्र की वरुणा सीट से जीत हासिल की है।
28 विधायकों ने भी ली मंत्री पद की शपथ
मंत्री पद के लिए बड़ी संख्या में दावेदार हैं। ऐसे में असंतुष्टों की तादात बढ़ने से बचने के लिए फिलहाल मुट्ठी भर विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी। पता चला है कि दिल्ली में शुक्रवार देर रात हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। शुरुआत में सीएम और डिप्टी सीएम समेत 28 विधायकों को मंत्री बनाने का फैसला किया गया था। लेकिन जिन नेताओं को मंत्री पद नहीं मिलती, उनमें रोष पनपता। इस प्रकार हाईकमान पूर्ण कैबिनेट नहीं बनाने के निर्णय पर पहुंचा। इस बात का पता चला है कि मंत्री पद के दावेदारों की बगावत को रोकने के लिए आलाकमान ने एहतियात के तौर पर पहले चरण में आठ विधायकों को मंत्री पद पर नियुक्त करने का फैसला किया है। इन सभी नेताओं को शपथ लेने के लिए आज दोपहर 12:30 बजे कंटीरवा स्टेडियम पहुंचने की सूचना दी गई है। भावी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, केपीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार और कांग्रेस नेता शनिवार (आज) सुबह दिल्ली से पहुंचे। मनोनीत मुख्यमंत्री सिद्धारमैया आज सुबह राजभवन को मंत्रियों के रूप में शपथ लेने वाले कांग्रेस विधायकों की सूची भेजेंगे। कांग्रेस आलाकमान अगले सप्ताह या इस महीने के अंत तक दूसरे चरण में शेष मंत्री पदों को भरने के बारे में राज्य के कांग्रेस नेताओं के साथ विचार-विमर्श करेगा। वही मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के साथ मंत्री पद की शपथ लेने की उम्मीद कर रहे मंत्री पद के दावेदार आज काफी मायूस हैं। बताया जाता है कि कुछ नेताओं को मंत्री पद की शपथ लेने के लिए परिवार और दोस्तों के साथ तैयार होकर आने को कहा गया है। लेकिन आखिरी मिनट में हुए बदलाव ने कई विधायकों को निराश किया है।

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