लॉक डाउन अवधि में भूखों तथा बेसहारों का सहारा बन गया है भोजन बैंक,तीन साल से भूखों को भोजन उपलब्ध कराती है यह संस्था

पटना।(आलोक कुमार) भोजन बैंक के संस्थापक हैं राजीव मिश्रा। लॉकबंदी काल में भोजन बैंक का दायित्व बढ़ गया है। इसे बदस्तूर निभाया जा रहा हैं।भोजन बैंक भूखे और जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध करवाने में अग्रसर एक स्वयंसेवी संस्था है। हम अस्पतालों और अन्य सार्वजनिक जगहों पर भूखे और जरूरतमंदों को एक समय का तैयार भोजन उपलब्ध करवाते हैं। हम एक ऐसे भारत की कल्पना के साथ यह काम कर रहे हैं, जहाँ कम से कम कोई भूखा ना रहे। हम यह काम पिछले तीन सालों से प्रतिदिन कर रहे हैं।कोरोना से जंग में जब देश लॉक डाउन के दौर से गुजर रहा है, हम पूरी सतर्कता बरतते हुए और अनुशासन का पालन करते हुए, अपने कर्तव्यों का सम्यक निर्वहन कर रहे हैं। इस लॉक डाउन में हम 300 लोगों को प्रतिदिन भोजन करवा रहे हैं एवं जहाँ प्रतिदिन संभव नहीं हो पा रहा है, हम सूखा राशन उपलब्ध करवा रहे हैं।इसके अलावा हम लोगों को मास्क पहनने और हाथ साफ करने के लिए भी लगातार प्रेरित करते हैं। आप इस तस्वीर में सिर्फ़ डेढ़ साल के मासूम बच्चे को देखिए। हमारे लगातार समझाने और सिखाने का असर यह है कि मासूम बच्चों को भी मास्क पहनाया जाता है। जब यह मासूम मास्क पहन सकता है तो बड़े क्यों नहीं।कहने को तो आज हमारा देश विश्वगुरु बनने की राह पर अग्रसर है, पर एक सच्चाई यह भी है कि आज भी हमारे देश में प्रतिदिन लाखों लोगों को भोजन के आभाव में भूखे सोना पड़ता हैं, और इस सच्चाई का दूसरा पक्ष यह भी है कि हम भारतीय जितना भोजन बर्बाद करते हैं अगर वो सही व्यक्ति के थाली तक पहुँच जाये तो शायद हीं हमारे देश की किसी को भूखा सोना पड़े | इसी सोंच को आगे बढ़ाते हुए राजधानी पटना के  युवा राजीव मिश्रा ने शुरू किया भोजन बैंक।

कुछ इस तरह अपने बेटी के जन्मदिन को बनाया बहुत खास

12 सितंबर के दिन राजीव मिश्रा के बिटिया का अवतरण दिवस था, और राजीव जी इस दिन को बहुत खास बनाना चाहते थे।इस तरह 12 सितंबर 2017 को राजधानी पटना के बेली रोड राजाबाजार पाया नंबर 26 के पास भोजन बैंक की नींव डाली।भोजन बैंक का शुभारम्भ सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद के हाथो हुआ।

लोगों के सहयोग से असहायों की भूख मिटाता है भोजन बैंक

वैसे लोग जो दो वक्त की रोटी जुटाने में सक्षम नहीं है, पटना बेली रोड राजाबाजार पायानंबर 26 के पास स्थित भोजन बैंक आकर अपनी भूख मिटाते हैं ।प्रति दिन 150-200 गरीबों और असहायों की भूख मिटाने वाली भोजन बैंक शाम को खुलती है।यह अनोखा भोजन बैंक राजीव मिश्रा खुद के पैसे और कभी-कभी दुसरे व्यक्ति के आर्थिक सहायता ( अन्न, खाद्य सामग्री ) से चलाते हैं।इस नेक कार्य में सहयोग करने वाले वैसे लोग भी शामिल हैं जो अपने माता- पिता की पुण्यतिथि अपने शादी की सालगिरह या फिर अपने या अपने बच्चों के जन्म दिवस को यादगार बनाने के लिए दान स्वरुप भोजन या भोजन सामग्री या फिर आर्थिक रूप से सहायता करते हैं और बहुत जल्द इसका विस्तार पूरे पटना में करने की योजना है।

पांच लोगों की टीम संचालित करती है भोजन बैंक

वैसे तो भोजन बैंक को श्रमदान और अर्थदान करने वाले दर्जनों लोग हैं, पर पांच लोग जिनमे राजीव मिश्रा जी की धर्मपत्नी बढ़-चढ़ कर भोजन बैंक के संचालन में हांथ बटाती हैं, इनके अलावा पटना कंकड़बाग की रहने वाली समाजसेविका ईला वर्मा का भी भरपूर सहयोग एवं मार्ग दर्शन मिलता रहता है।इन लोगों के अलावा राजीव मिश्रा के मित्र हैं जो इस नेक कार्य में सहयोग देते हैं

भोजन की बर्बादी रोकने के लिए भी लोगों को करते हैं जागरूक

इसे देश की विडम्बना हीं कहेंगे कि जिस देश में बाइस करोड़ लोग पैसे या भोजन के आभाव में भूखे सोने को मजबूर हैं वहीँ शादी-विवाह एवं अन्य कार्यक्रम में होटल में तथा घर पर भी भोजन को बर्बाद करने वाले की हमारे देश में कमी नहीं है, वैसे लोग शायद भोजन को बर्बाद करने में अपनी शान समझते हैं, पर वे लोग यह बात भूल जाते हैं की जिस अनाज को वे बर्बाद कर रहे होते हैं उसी समय कोई व्यक्ति कहीं भूख से मर रहा होता है अगर इस बात को छोड़ भी दिया जाये तो उस अनाज को उपजाने में जितना देश का पानी खर्च हुआ है, जितना किसान का मेहनत और समर्पण लगा है अगर भोजन को बर्बाद करने वाले से इन सब का हिसाब सही ढंग से बताया जाये तो उन्हें दिन में भी तारे नजर आने लगेंगे |

जदयू के दलित प्रकोष्ठ की उपाध्यक्ष विनीता स्टेफी पासवान

कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉक डाउन ने सबसे ज्यादा वैसे लोगो की मुसीबत बढ़ा दी है जो मजदूरी कर के किसी तरह अपना और अपने परिवार का लालन पोषण करते हैं, ऐसे दर्जन भर से अधिक मजदूर जो कि जमुई, पटना ग्रामीण, लखीसराय, झांझा, हवेली खड़गपुर के रहने वाले हैं। और पटना के एजी कॉलोनी स्थित कौटिल्य नगर में रहते है।लॉक डाउन के कारण इन सभी को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा रहा है। क्यों कि अभी ना तो उनके पास काम है और ना पैसे से है। जिससे वे बाजार से अनाज और सब्जी खरीद सकें। शुरू में एक-दो दिन तो उनका गुजारा किसी तरह चल गया लेकिन उसके बाद ना तो उनके पास खाना था और ना ही पैसे।आपको बता दें की जब सभी मजदूर और उनके बच्चों की भूखे सोने की नौबत आई तो जदयू के दलित प्रकोष्ठ की उपाध्यक्ष विनीता स्टेफी पासवान ने सभी मजदूरों और उनके परिवार वालों ने खाने का इंतजाम किया। इसके लिए उन्होंने पटना डीएम कुमार रवि और भोजन बैंक एनजीओ के संस्थापक राजीव मिश्रा से संपर्क किया। जिसके बाद अब एक टाइम सुबह में जिला प्रशासन के द्वारा लोगों को खाना खिलाया जा रहा है। और शाम में राजीव मिश्रा के भोजन बैंक के द्वारा खिलाया जा रहा है।वहां रह रहें सभी महादलित वर्ग के 17 मजदूरों के परिवार के सभी 67 सदस्यों को जिसमे कई छोटे-छोटे बच्चे भी सभी को दोनों समय का भोजन और हाथ धोने के लिए साबुन मिल रहा है। जिससे वे कोरोना की इस भारी विपदा में अपने आप को सुरीक्षित रख सकें।

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