देश में नींबू की बढती कीमतों ने लगाई आग : जानिए इतने क्यों बढे दाम, कब से मिलेगी राहत

देश। पिछले कुछ दिनों में नींबू की कीमतों ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। आमतौर पर 50-60 रुपए किलो में बिकने वाले नींबू की कीमत कई शहरों में 300-400 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है। आमतौर पर 2-3 रुपए में बिकने वाला एक नींबू 10-15 रुपए तक में बिक रहा है। गर्मी के दिनों में जब नींबू की जरूरत सबसे ज्यादा होती है, तो रिकॉर्ड तोड़ कीमतों की वजह से नींबू आम आदमी की पहुंच से दूर हो गया है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर क्या हैं नींबू की कीमतों के रिकॉर्ड तोड़ने की वजह क्या हैं और देश के लोगों इन बढ़ी हुई कीमतों से राहत कब तक मिलेगी।
जानिए देश में क्या है नींबू की कीमतों का हाल
पिछले 15 दिनों से देश में नींबू की कीमतों में तेजी से उछाल आया है। देश के ज्यादातर शहरों में नींबू 250-400 रुपए किलो तक बिक रहा है और उसकी रिटेल कीमत 10-15 रुपए प्रति नींबू तक पहुंच गई है। राजधानी दिल्ली में नींबू करीब 250-300 रुपए प्रति किलोग्राम में बिक रहा है। देश के कुछ अन्य बड़े शहरों में भी पिछले कुछ दिनों में नींबू की कीमतों में तेजी से इजाफा हुआ है। उदाहरण के लिए मुंबई, हैदराबाद और कोलकाता में एक महीने पहले 50-100 रुपए किलो में बिक रहे नींबू की कीमत अब 300-400 रुपए/किलो तक पहुंच गई है। पुणे के होलसेल मार्केट में 10 किलो नींबू का एक बैग 1,750 रुपए में बिक रहा है। आमतौर पर 10 किलो के एक बैग में 350-380 नींबू होते हैं। वहीं पुणे में एक नींबू की रिटेल कीमत करीब 10-15 रुपए है। वही अगर बात करें नींबू भारत के 3.17 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उगाया जाता है। आमतौर पर नींबू के पेड़ साल में तीन बार फल देते हैं। आंध्र प्रदेश देश में सबसे बड़ा नींबू उत्पादक राज्य है, जहां 45 हजार हेक्टेयर के क्षेत्र में नींबू उगाया जाता है। इसके बाद सर्वाधिक नींबू उगाने वाले राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा और तमिलनाडु का नंबर है। नींबू की देश में मुख्यत: दो कैटेगरी होती है- लेमन और लाइम। छोटा, गोल और पतले छिलके वाला कागजी नींबू देश भर में सबसे आम वैराइटी है। लाइम कैटेगरी में गहरे हरे रंग के नींबू आते हैं, जिनका उत्पादन कॉमर्शियल उद्देश्य से मुख्यत: उत्तर और पूर्वोत्तर भारत में होता है।
जानिए आखिर क्यों बढ़ी नींबू की इतनी कीमतें
लगातार दो फसलों के बर्बाद होने से बिगड़ी बात : देश में इन गर्मियों में नींबू के रिकॉर्ड तोड़ने की प्रमुख वजह ज्यादा बारिश और ज्यादा तापमान की वजह से उसका कम उत्पादन है। वही बेमौसम बरसात, साइक्लोन और ज्यादा गर्मी ने नींबू के टॉप-3 उत्पादक राज्यों आंध्र प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक में नींबू की फसल को प्रभावित किया। इसके साथ साथ मौसम की वजह से ही नींबू के लगातार दो सीजन हस्त बहार और उसके बाद आने वाले अंबे बहार फेल हो गए। इससे नींबू का उत्पादन में गिरावट आई। पिछले साल पूरे देश में मानसून बहुत अच्छा था, लेकिन सितंबर और अक्टूबर के महीने में बहुत ज्यादा बारिश हुई थी। नींबू के बगीचे अतिरिक्त नमी के प्रति बहुत ही संवेदनशील होते हैं, इसलिए सितंबर-अक्टूबर में हुई भारी बारिश से हस्त बहार सीजन असफल रहा और नींबू के पौधों में बहुत कम फूल लगे। वही नींबुओं को आमतौर पर कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है और तब तक मार्केट में यही नींबू चलता रहता है, जब तक अंबे बहार के नींबू नहीं आ जाते हैं। इस बार सीजन में कम पैदावार से किसानों के पास स्टोर करने के लिए कम नींबू थे। साथ ही अंबे बहार के नींबुओं को भी बेमौसम बरसात झेलनी पड़ी, जिससे शुरुआती चरण में इसकी कम पैदावार हुई। फरवरी के अंत से बढ़ते हुए तापमान की वजह से भी नींबू की फसल प्रभावित हुई, जिससे नींबू के छोटे फल गिर गए। आमतौर पर गर्मियों में जब नींबू की मांग साल में सबसे ज्यादा होती है, तो स्टोर किए गए हस्त बहार और ताजा अंबे बहार नींबू से ही सारी मांग पूरी होती है, लेकिन इस बार इन दोनों सीजन के प्रभावित होने से उत्पादन में कमी आई।
देश में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी : देश में 22 मार्च के बाद से पेट्रोल, डीजल और उठॠ की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 10 रुपए/लीटर तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। नींबू की कीमतों के बढ़ने में काफी हद तक तेल की कीमतों के बढ़ने का भी योगदान है। जानकारों का मानना है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से नींबू के ट्रांसपोर्टेशन के खर्च में प्रति ट्रक 24 हजार रुपए तक का इजाफा हुआ है। नींबू की ढुलाई महंगा होने का असर, नींबू की कीमतों में दिख रहा है।
बढ़ते तापमान और त्योहारों ने बढ़ाई मांग : इस मार्च महीने में ही तापमान मई जैसा हो गया था और औसत तापमान 38-40 डिग्री सेंटीग्रेट तक पहुंच गया था। इससे नींबू की मांग जल्द और ज्यादा बढ़ी। फरवरी-मार्च में ही तापमान ज्यादा बढ़ने से नींबू की पैदावार पर भी असर पड़ा। हिंदुओं के त्योहार नवरात्रि और मुस्लिमों के रमजान के दौरान भी नींबू की मांग बढ़ी, लेकिन उत्पादन में कमी की वजह से ये मांग पूरी नहीं हो पाने से भी नींबू की कीमतें आसमान छूने लगीं।
जानिए कब मिलेगी नींबू की बढती कीमतों से राहत
नींबू की कीमतों में तुरंत गिरावट आने की उम्मीद कम ही है। हालांकि, आने वाले दिनों में इसमें कुछ कमी आने की उम्मीद है। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में नींबू की कीमतों में गिरावट आई है। इसकी वजह आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना से भेजे जा रहे नींबू हैं, जो आमतौर पर मई के अंत में आते हैं, लेकिन इस बार ज्यादा मांग और सप्लाई में कमी की वजह से वहां से नींबू जल्दी भेजे जा रहे हैं। वैसे तो ये नींबू हरे हैं, यानी अभी पके भी नहीं है, लेकिन इनके आने से कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद जगी है। इससे अगले कुछ दिनों में नींबू की कीमतों में कुछ गिरावट आ सकती है। वही नींबू की कीमतों के पूरी तरह अक्टूबर तक ही सामान्य होने की उम्मीद है, क्योंकि अब नींबू की अगली फसल अक्टूबर तक ही तैयार होगी। उसके बाद ही नींबू की आवक में सुधार होगा।

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