सक्षमता परीक्षा देकर निकले शिक्षकों ने पैटर्न पर उठाए सवाल, सिलेबस को बताया बीपीएससी से भी हार्ड

पटना। राज्य के नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए सोमवार से बिहार बोर्ड की ओर से ली जाने वाली सक्षमता परीक्षा की शुरुआत हुई। पहले दिन की प्रथम पाली से परीक्षा देकर निकले नियोजित शिक्षकों ने परीक्षा के पैटर्न पर ही सवाल खड़े किए। पत्रकारों से बातचीत के दौरान कई नियोजित शिक्षकों ने बताया कि इस परीक्षा का पैटर्न बिहार लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा से भी मुश्किल रहा। जहां एक और मुख्यमंत्री ने कहा था कि हम लोगों को केवल एक मामूली परीक्षा देनी होगी वहीं सोमवार की प्रथम पाली की परीक्षा काफी हार्ड रही। अधिकांश सवाल सिलेबस से बाहर पूछे गए। ऑनलाइन एग्जाम का पैटर्न भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। जितनी देर में हम लोग इस पैटर्न को समझ पाते उतनी देर में टाइमर दूसरे सवाल पर शिफ्ट हो जाता था जिसके कारण कई शिक्षकों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। ये सवाल प्रोफेसर्स से करने चाहिए अगर वो पास हो जाते हैं तो हम भी पास हो जाएंगे। हमलोगों को तो एग्जाम देना ही नहीं था। हमलोग पहले से टीईटी पास हैं। लेकिन परीक्षा देना हमारी मजबूरी है। बिहार के 9 जिलों के 52 कंप्यूटर परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा आयोजित की जा रही है। पहली पाली की परीक्षा में सेंटर्स पर एंट्री के दौरान शिक्षक अभ्यर्थियों के जूते, बेल्ट और जैकेट भी खुलवा दिए गए। जो बच्चों को पढ़ाते हैं, उतनी ही तैयारी है। मजबूरी है। हमलोगों को परीक्षा नहीं देनी चाहिए। विरोध करते हैं। पैसे के लिए नौकरी करना पड़ेगा। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने सक्षमता परीक्षा की तारीखों में बदलाव किया है। पहले एग्जाम 26 फरवरी से 13 मार्च तक होनी थी। जिसे घटाकर अब 6 मार्च तक कर दिया गया है। इंटर परीक्षा के मूल्यांकन के चलते बोर्ड ने यह निर्णय लिया है। सक्षमता परीक्षा देने के बाद मूल्यांकन कार्य में नियोजित शिक्षकों को लगाया जाएगा। बिहार में नियोजित शिक्षकों की संख्या कुल 3.50 लाख के करीब है। सक्षमता परीक्षा के लिए 2.32 लाख नियोजित शिक्षकों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया है। फिलहाल, अभी नई नियमावली के अनुसार राज्य कर्मी का दर्जा के लिए नियोजित शिक्षकों को एग्जाम पास करने के लिए तीन अवसर दिए जाएंगे। आगे इसे बढ़ाकर 5 किया जाएगा।

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