PATNA : महावीर वात्सल्य में आर्थोस्कोपिक से घुटने और कंधे के टूटे लिगामेंट का आपरेशन संभव

फुलवारी शरीफ, (अजीत)। पटना के महावीर वात्सल्य अस्पताल में घुटने और कंधे के टूटे लिगामेंट का आपरेशन शुरू हो गया है। यहां घुटने और कंधे के टूटे लिगामेंट का आपरेशन बहुत ही कम दरों पर किया जा रहा है। कॉम्प्लेक्स फ्रक्चर और आर्थोस्कोपिक सर्जन डॉ. अश्विनी कुमार पंकज ने यहां सोमवार को एक 27 वर्षीय मरीज का दूरबीन से घुटने के टूटे लिगामेंट का सफल आॅपरेशन किया। अभी तक महावीर वात्सल्य में डॉ. अश्विनी द्वारा पांच लोगों का आर्थोस्कोपिक आपरेशन हो चुका है।
उन्होंने बताया कि घुटना शरीर का एक अहम जोड़ है। घुटने में प्रमुख रूप से चार प्रकार के लिगामेंट और दो गद्दीनुमा संरचना (मेनिस्कस) होती हैं। लिगामेंट्स रस्सीनुमा तंतुओं के ऐसे समूह हैं, जो हड्डियों को आपस में जोड़कर उन्हें स्थायित्व प्रदान करते हैं। इस कारण जोड़ सुचारु रूप से कार्य करते हैं। घुटने का जोड़ घुटने के ऊपर फीमर और नीचे टिबिया नामक हड्डी से बनता है। बीच में टायर की तरह के दो मेनिस्कस (एक तरह का कुशन) होता है। फीमर व टिबिया को दो रस्सीनुमा लिगामेंट (एनटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट और पोस्टेरियर क्रूसिएट लिगामेंट) आपस में बांध कर रखते हैं और घुटनों को स्थायित्व प्रदान करते हैं। साइड में यानी कि घुटने के दोनों तरफ कोलेटेरल और मीडियल कोलेटेरल लिगामेंट और लेटेरल कोलेटरल लिगामेंट नामक रस्सीनुमा लिगामेंट्स होते हैं। इनका कार्य भी क्रूसिएट की तरह दोनों हड्डियों को बांध कर रखना है। घुटने में चोट के कारण लिगामेंट में क्षति हो सकती है या गद्दी फट सकती है। लेकिन इन दिनों मेडिकल के क्षेत्र में बहुत तरक्की हुई है।
उन्होंने बताया कि आर्थोस्कोपिक विधि से अब स्पोर्ट्स इंजरी का इलाज सफलतापूर्वक संभव है। चीरफाड़ किए बगैर आर्थोस्कोप से जो भी लिगामेंट टूट गया है, उसे रिपेयर कर दिया जाता है या फिर उसका दोबारा पुनर्निर्माण कर दिया जाता है। घुटने की लूज बॉडीज (चोट लगने के कारण लिगामेंट में टूट-फूट होने वाले भागों) को निकाल दिया जाता है। परिणामस्वरूप घुटने की अस्थिरता खत्म हो जाती है और दर्द दूर हो जाता है। ऐसे व्यक्ति की दिनचर्या बहाल हो जाती है। यह आधुनिक विधि दर्दरहित और सफल है। जिस चोट को पहले पता करना ही मुश्किल था, उसे इन दिनों छोटे छेद से आपरेशन से ठीक कर सकते हैं। आर्थोस्कोपी से आपरेशन के कारण मरीजों को बड़ी राहत मिलती है। एक या दो छेद करने के बाद मरीज का आपरेशन हो जाता है। ओपन सर्जरी में समय भी ज्यादा लगता है और मरीज को खून की जरूरत पड़ती है। आॅपरेशन के बाद मरीज को 2 से 3 दिनो में छुट्टी दे दी जाती है।

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