राहुल गांधी की सदस्यता होने पर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर, जानें पूरा मामला

नई दिल्ली। राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में जनप्रतिनिधित्व कानून की उस धारा को चुनौती दी गई है, जिससे राहुल गांधी की सदस्यता खत्म हुई है। याचिका में जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा- 8(3) को रद्द करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया कि है कि चुने हुए प्रतिनिधि (सांसद या विधायक) को सजा मिलते ही सदन की सदस्यता से “अपने आप अयोग्य” हो जाना असंवैधानिक है। याचिका केरल की एक्टिविस्ट आभा मुरलीधरण ने फाइल की है। इंडिया टुडे से जुड़े संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिका में आभा ने कहा है कि जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा- 8(3) फर्जी राजनीतिक एजेंडा को प्रोमोट करने का प्लेटफॉर्म बन चुकी है। इसका इस्तेमाल विरोधी दल किसी के खिलाफ ‘अयोग्यता के हथियार’ के रूप में कर सकते हैं। याचिका के मुताबिक, इसका इस्तेमाल राजनीतिक स्वार्थ को साधने और लोकतंत्र के मूल ढांचे पर हमले के लिए किया जा रहा है। राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता इसी धारा- 8(3) के तहत रद्द हुई है। जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा- 8(3) के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है और 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो वह सजा मिलने वाले दिन से सदन की सदस्यता से अयोग्य माना जाएगा। 2 साल के बाद रिहा होने से लेकर अगले 6 साल के लिए वह अयोग्य ही रहता है। वह चुनाव भी नहीं लड़ सकता है। राहुल गांधी कोर्ट के फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील कर सकते हैं। अगर हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट सजा को 2 साल से कम कर देता है, तो राहुल गांधी मौजूदा फैसले पर रोक लग सकती है। यानी राहुल अयोग्य घोषित होने से बच जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 के एक फैसले में कहा था कि अगर अपील के दौरान सजा पर रोक लगती है तो अयोग्य घोषित होने के फैसले पर भी रोक लग जाएगी।

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