राज्य में बिजली चोरी में पटना सबसे आगे : तिमाही में दर्ज हुए 1465 नए मामले, गया और नालंदा भी टॉप पर
पटना। राज्य सरकर के बिजली चोरी रोकने को ले कई तरह के प्रयासों के बावजूद इसपर काबू नहीं पाया जा सका है। बिजली कंपनी की पहली तिमाही का जो आंकड़ा है, उसमें शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण, सभी जगहों पर बिजली चोरी के खूब मामले सामने आ रहे। जिले जितने बड़े वहां मामलों की संख्या भी उतनी ही अधिक। वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के आंकड़े के अनुसार सबसे अधिक 1465 बिजली चोरी के मामले पटना जिले में दर्ज हुए। आकलन के हिसाब से यह 4.77 करोड़ रुपये के राजस्व से जुड़ा विषय था। वहीं अद्यतन रिपोर्ट के अनुसार अब तक 3.21 करोड़ रुपये की रिकवरी हो चुकी है।
एक हजार से अधिक एफआइआर वाले जिले में गया
बिजली कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार गया व नालंदा शीर्ष के उन जिलों में शुमार हैं, जहां बिजली चोरी के एक हजार से अधिक मामले इस वर्ष की पहली तिमाही में दर्ज हुए हैं। वही गया में 1174 तथा नालंदा में 1158 प्राथमिकी दर्ज हुई है। गया में 5.37 करोड़ के राजस्व का मामला है। इसमें 2.15 करोड़ की रिकवरी हुई है। वहीं नालंदा में 3.53 करोड़ में मात्र 1.94 करोड़ रुपये की ही वसूली हो सकी है।
इन जिलों में 500 से अधिक मामलों में प्राथमिकी
आकड़ों की मानें रोहतास में 829, भोजपुर में 824, भागलपुर में 688 तथा औरंगाबाद में 585 प्राथमिकी बिजली चोरी के सिलसिले में की गई है। रोहतास में 2.67 करोड़ की जगह 1.42 करोड़, भोजपुर में 1.68 करोड़ की जगह 1.04, भागलपुर में 1.81 की जगह 1.32 करोड़ तथा औरंगाबाद में 1.43 की जगह 1.18 करोड़ रुपये की रिकवरी हो पाई है। जमुई में 467 प्राथमिकी दर्ज हुई है। पटना शहरी क्षेत्र में पेसू के माध्यम से बिजली की आपूर्ति होती है। पेसू पूर्वी क्षेत्र में 297 तथा पेसू पश्चिमी क्षेत्र में 258 बिजली चोरी की प्राथमिकी हुई है। चार करोड़ रुपये से अधिक की बिजली चोरी के मामले अकेले पटना शहरी क्षेत्र में हैं। वही उत्तर बिहार में 741 प्राथमिकी के साथ मुजफ्फरपुर जिला टाप पर है। इसके अतिरिक्त मोतिहारी में 391, सहरसा में 349, बेगूसराय में 339. दरभंगा में 196, सारण में 148, समस्तीपुर में 109, किशनगंज में 36 व पूर्णिया में 33 बिजली चोरी के मामले दर्ज हुए हैं।