रैपिड एक्शन के साए में हुआ ताजिये का पहलाम 

फुलवारी शरीफ। मुहर्रम की दशवीं तारीख को हजरत इमाम हुसैन की याद में माने जाने वाला यौमे आशूरा को लेकर फुलवारी शरीफ के शहरी व ग्रामीण इलाके में या अली, या हुसैन, या हसन हुसैन, या अली की सदाएं गूंजती रही। युवाओं ने या हुसैन नारे तक़बीर अल्लाह हो अकबर का नारा लगाते हाथों मे तिरंगें और इस्लामी झंडे लिए बैंड बाजे, ताज़िया के साथ भव्य अखाड़ा जुलुस निकाला गया । जिसमें बड़ी संख्या में हिंदु और मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल हुए। इमामबाड़ों पर अखाड़ा निकलने से पहले पारंपरिक तरीके से फातिहा बाद खीचड़ा वितरित किया गया। मुहर्रम को लेकर नगर में दिन से लेकर चार पांच बजे सुबह तक लोग अखाड़ा देखने के लिए जमा रहे। तीन साल बाद समनपूरा के अखाड़े को फुलवारी शरीफ में आने पर लोगों में उत्साह का माहौल भी था। समनपूरा के अखाड़े में भारी भीड़ और लाठी तलवार बाना समेत कई पारम्परिक हथियारों से  एक से बढ़कर एक करतब दिखाए। ईसापुर , खलीलपूरा, सबजपुरा, नया टोला, लाल मियां की दरगाह समेत कई इलाके से निकले मुहर्रम के अखाड़े में आकर्षक ताजिये और सिपहर को देखने के लिए श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक था। कई अखाड़े में मरसिया गीत ( शोक गीत ) गाकर लोगों ने हजरत इमाम हुसैन को याद किया। इस दौरान पुलिस प्रशासन ने चाक चौबंद सुरक्षा के बीच मुहर्रम के अखाड़े को पहलाम के लिए कर्बला तक पहुंचाया। कर्बला में ताजिये के पहलाम देखने उमड़े श्रद्धालुओं की आँखे हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में नम थी, वहीं कर्बला के रास्ते में कई जगहों पर स्टाल लगाकर अखाड़े में शामिल लोगों को शरबत के साथ ही खिचड़ी वितरित किया गया। प्रशासन की कड़ी चेतावनी के बाद पहली बार मुहर्रम में डीजे नहीं बजाया गया और शांतिपूर्वक मुहर्रम सम्पन्न हो गया।

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