H3N2 वायरस से घबराएं नहीं बल्कि बरतें सावधानियां और रहें सतर्क : पटना एम्स

  • भीड़-भाड़ में बनाए दूरी हाथो की सफाई और मास्क लगाना जरूरी

पटना। एम्स ने राजधानी पटना समेत देशभर में नया और लोगों के जेहन में खतरनाक वायरस H3N2 के से पीड़ित मरीजों के मिलने के बाद आम लोगों से अपील किया है कि इस वायरस से घबराने और डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि सावधानियां बरतने की जरूरत है। इस वायरस के बारे में एम्स का कहना है कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि यह H3N2 वायरस आम लोगों के लिए बेहद खतरनाक है। वही इसके बावजूद एम्स पटना जन स्वास्थ्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को सुनिश्चित करते हुए इस नये वायरस की जाँच और तत्काल उपचार के लिये पूर्णतः तैयार है। आवश्यकता पड़ने पर एम्स पटना में 30 बेड के अलग आइसोलेशन वार्ड को कुछ ही घंटों में तैयार किया जा सकता है। वही एम्स पटना के सभी बेड आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं और तुरंत उपयोग में लाए जा सकते हैं। यहाँ सभी प्रकार के जाँच की सुविधा, किट्स, दवाइयाँ व विशेषज्ञ सदैव उपलब्ध हैं। दरअसल, पटना एम्स ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि इस वायरस का अभी तक कोई भी पीड़ित मरीज पटना एम्स में नहीं आया है। इतना ही नहीं एम्स ने लोगों को सचेत करते हुए कहा है कि जिस तरह कोरोना वायारस से लोगों ने सावधानियां बरतकर उसे दूर भगाया है, उसी तरह हाथों की साफ-सफाई भीड़ भाड़ में दूरी बनाए रखना और मास्क का उपयोग करके इस वायरस से बचाव किया जा सकता है।

ये प्रेस विज्ञप्ति एम्स पटना के कार्यकारी निदेशक प्रोफ़ेसर डॉ.। गोपाल कृष्ण पाल के द्वारा, चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर डॉ.। सी एम सिंह, एडिशनल प्रोफेसर एवं फैकल्टी इंचार्ज इन्फेक्शियस डिजीस डॉ.। बिनोद कुमार पति एवं एम्स पटना के प्रवक्ता डॉ.। श्रीकान्त भारती की उपस्थिति में जारी की गई। वही पटना एम्स के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने कहा है की H3N2 वायरस से कैंसर के मरीज़ों, ब्लडप्रेशर, डाइबिटीज एवं स्वास्थ्य संबंधी रोगियों में इस इन्फेक्शन के थोड़े ज़्यादा गंभीर लक्षण हो सकते हैं। एम्स पटना आमजन को यह संदेश भी देना चाहता है कि इस इन्फेक्शन से घबराने की आवश्यकता नहीं है। हाथों की साफ़ सफ़ाई, भीड़भाड़ की जगह पर आपसी दूरी और मास्क पहनना आपकी सुरक्षा के लिए अत्यंत कारगर है। आपको बता दे की देश में H3N2 के केस बीते 7-8 सप्ताह से बढ़ते देखे जा रहे हैं। इन्फ्लुएंजा ए किसी आम फ्लू की ही तरह है और यह दुनिया के सभी हिस्सों में पाया जाता है। भारत में मौसमी फ्लू के दो शीर्ष समय होते हैं, जब ये फ्लू ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को प्रभावित करते हैं। ये समय भारत में जनवरी से मार्च एवं मानसून के बाद आता है।

About Post Author

You may have missed