अब अंधे भी लॉव्स की मदद से देख सकेगें दुनिया, पटना के शोध वैज्ञानिक ने किया संभव

पटना। आंख बिना जग सूना… ये वाकया किसी भी बिना आंख वाले के लिए कितना दुखदाई हो सकता है, इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं। लेकिन अब ऐसा नही होगा। अब अंधे भी इस रंगीन दुनिया को देख सकेंगे और अपने जीवन में खुशियों के पल दीदार कर सकेंगे। ऐसा संभव किया है बिहार पटना के एक शोध वैज्ञानिक अश्विनी कुमार सुप्र ने। बता दें कि अश्विनी कुमार सुप्र ने एक ऐसे बायोलॉजिकल चश्में का आविष्कार किया है, जिससे कोई भी अन्धा व्यक्ति पूर्ण रूप से आम आँखों वाले व्यक्तियों की तरह देख सकेगा। इस यंत्र का नाम है ‘लॉव्स’ (‘LOVS’-Light Optical Vision System) इन्होंने ऐसे वरचुअल एनर्जी एवं ब्रेन कोर्टेक्स पर शोध कर जन्मांध एवं किसी भी रूप से अंधे व्यक्ति को स्थाई रूप से रोशनी प्रदान करने हेतु प्रकाश के विज्ञान को मिश्रत कर इस बायोलॉजिकल चश्में का आविष्कार किया है।

अश्विनी ने वर्षों की शोध, लगन, मेहनत, संघर्ष एवं तपस्या के उपरान्त अपने माता, पिता, गुरु एवं अपने परम् मित्र श्याम दालुका के अविस्मरणीय सहयोग से उन्होने अपने इस आविष्कार में अद्वितीय सफलता प्राप्त की। वे अपने इस शोध एवं अविष्कार को लेकर भारत एवं जापान के प्रधानमंत्री से मिलने को इच्छुक हैं। वर्तमान में अश्विनी सुप्र अपने इस दुर्लभ विज्ञान को लेकर राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय पेटेन्ट कराने हेतु कार्यशील हैं। पटना विश्वविद्यालय एवं अन्य बाह्य विश्वविद्यालयों से निरंतर उच्च शिक्षा ग्रहण करने के उपरान्त अश्विनी सुप्र कई नौकरियां की और अपने शोध में समय देने हेतु समयानुसार उनसे इस्तिफा दे दिया। अश्विनी ने अत्यन्त ही गुप्त रूप से अपने द्वारा बनाए गये चश्मे का सफल टेस्ट कई अन्धे व्यक्तियों पर कर चुके हैं।

स्वतंत्र वैज्ञानिक के रूप में अश्विनी न सिर्फ विज्ञान में रूचि रखते हैं अपितु कला, संगीत, शायरी, कविता लेखन,  अध्यात्म, तंत्र, ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्र पर भी गहरी पकड़ रखते हैं। फाइव एलिमेन्टस्, सुपर कन्डक्टर, इलेक्ट्रो मैगनेटिक थ्योरी, आईन्सटाइन की थ्योरी, डार्विन के सिद्धांत प्लेसेन्टा, प्लाज्मा मेमबरेन, सेल डिवीज़न, अमीबा, बिग बैन्ग थ्योरी, अल्फा-बीटा-गामा फ्रैक्शन एवं कई वैज्ञानिकों के खोजों को गहरे रूप से अध्ययन कर मिश्रीत रूप से प्रकाश विज्ञान के रूप में अश्विनी कुमार ने अपने इस शोध एवं अविष्कार को सफल बनाया है। अश्विनी कुमार का कहना है कि उनके इस विज्ञान से ‘आई क्लोन’ भी सफलतापूर्वक किया जा सकेगा एवं बन्दर की आँखों का प्रयोग कर मनुष्य की आँखों की जगह प्रत्यारोपण भी किया जा सकेगा। पटना के पाटलिपुत्रा कॉलोनी के निवासी सुरेश कुमार चौधरी एवं प्रभावती कुमारी के द्वितीय पुत्र अश्विनी कुमार सुप्र ने मानव कल्पना से परे इस विज्ञान को समझते हैं। अश्विनी कुमार इसे अपने लिए ईश्वर का वरदान मानते हैं।

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