सुप्रीम कोर्ट ने चारा घोटाले मामले पर लालू यादव को दिया नोटिस, 4 हफ्तों में मांगा जवाब

पटना। चारा घोटाला मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ सकती हैं। इस मामले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में लालू यादव की जमानत याचिका रद्द करने की मांग की है। सोमवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने लालू यादव को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई अब चार सप्ताह बाद होगी। सीआरपीसी की धारा 427 को आधार बनाते हुए सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में लालू की जमानत रद्द करने की मांग की है। सीबीआई ने झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर चुनौती दी है, जिसमें लालू यादव को जमानत पर रिहाई मिली है। लालू को झारखंड हाईकोर्ट ने दुमका और चाईबासा कोषागार मामले में जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। सीबीआई ने इसी का विरोध किया है।
सीबीआई की दलील- अदालत ने सभी सजा एक साथ चलाने का नहीं दिया आदेश
सीबीआई के मुताबिक लालू प्रसाद को 5 मामले में अलग-अलग सजा हुई है, लेकिन सीबीआई कोर्ट ने सभी सजा एक साथ चलाने का आदेश नहीं दिया है। इस कारण सभी सजा एक साथ नहीं चल सकती है। धारा 427 में प्रावधान के अनुसार किसी व्यक्ति को एक से अधिक मामलों में दोषी करार देकर सजा सुनाई जाती है और अदालत सभी सजा एक साथ चलाने का आदेश नहीं देती है, तो उस व्यक्ति की एक सजा की अवधि समाप्त होने के बाद ही उसकी दूसरी सजा शुरू होगी।
आधी सजा पूरी होने की दलील पर लालू प्रसाद को मिली है जमानत
घोटाले के 5 मामलों में लालू प्रसाद को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई गई है। किसी भी आदेश में सभी सजा एक साथ चलाने का उल्लेख नहीं किया गया है। इस कारण लालू प्रसाद पर यह धारा लागू होती है। जब तक एक सजा की पूरी अवधि वे हिरासत में व्यतीत नहीं कर लेते, दूसरी सजा लागू नहीं हो सकती। इस आधार पर लालू प्रसाद की यह दलील की उन्होंने आधी सजा काट ली है, सही नहीं है और उन्हें दी गई जमानत रद्द कर देनी चाहिए। सीबीआई के मुताबिक लालू प्रसाद की ओर से अभी तक अदालत से सभी सजा एक साथ चलाने के लिए कोई आवेदन नहीं दिया गया है। ऐसे में सीआरपीसी की धारा 427 के तहत उन्हें जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता है।

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