कुर्सी बचाने को नैतिकता को मारकर कभी बीजेपी तो कभी आरजेडी के सामने नतमस्तक हुए नीतीश : प्रशांत किशोर
पटना। चुनावी रणनीतिकार से नए नए नेता बने प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा है कि नीतीश कुमार में अब नैतिकता नहीं बची है और कुर्सी के लिए वे बीजेपी और आरजेडी के सामने नतमस्तक हो गए हैं। प्रशांत किशोर ने कहा है कि 2014 में जिस नीतीश कुमार की उन्होंने मदद की थी वे चुनाव नहीं हारे थे बल्कि उनकी पार्टी लोकसभा का चुनाव हार गई थी। नैतिकता के आधार पर नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन 2020 में नीतीश कुमार चुनाव हार गए। 243 विधानसभा में महज 40 विधायक जीते हैं तो यह चुनाव हारने के ही समान है। बावजूद इसके कोई न कोई जुगाड़ लगाकर वे मुख्यमंत्री के पद पर बने हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि नीतीश कुमार में अब नैतिकता नहीं बची है और वे कुर्सी पर बने रहने के लिए कभी बीजेपी के पैर पर गिरते हैं तो कभी आरजेडी के लालटेन पर लटक जाते हैं। नीतीश कुमार न तो प्रशासक के तौर पर वे व्यक्ति नहीं और ना ही राजनेता के तौर पर ही वे व्यक्ति हैं। मानवता के आधार पर जिस नीतीश कुमार की 2014-15 में मदद की थी। ये वही नीतीश कुमार हैं जिन्होंने बाजपेयी सरकार में रेल मंत्री रहते हुए असम में हुए रेल हादसे के बाद इस्तीफा दे दिया था। नीतीश कुमार ने यह कहकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था कि 291 लोगों की मौत के बाद मैं इस पद पर कैसे रह सकता हूं, ये वही नीतीश कुमार हैं। जबकि कोरोना काल के दौरान न जाने कितने ही लोग मौत के शिकार हो गए, बिहार के लाखों लोग सड़कों पर मारे मारे फिर रहे थे लेकिन नीतीश कुमार ने अपने बंगले से बाहर निकलकर उनकी मदद करने की कोई कोशिश नहीं की और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया था।