पटना में ऑटो और ई-रिक्शा की नई व्यवस्था लागू, 3 जोन में बनाए गए 26 रूट, उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई
पटना। राजधानी पटना में बढ़ते ट्रैफिक जाम और अनियंत्रित ऑटो–ई-रिक्शा संचालन को सुव्यवस्थित करने के लिए जिला प्रशासन ने बड़ा बदलाव लागू किया है। जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने ऑटो और ई-रिक्शा के परिचालन के लिए नई प्रणाली को मंजूरी देते हुए सख्त आदेश जारी किए हैं। नई व्यवस्था के तहत शहर को तीन जोन—ग्रीन, येलो और ब्लू—में विभाजित किया गया है, जिसमें कुल 26 निर्धारित रूट शामिल हैं।
क्यों जरूरी पड़ी नई व्यवस्था
राजधानी पटना में पिछले कई वर्षों से ऑटो और ई-रिक्शा की अनियंत्रित आवाजाही ने ट्रैफिक व्यवस्था को भारी बाधित किया। खासकर स्कूल, बाजार, अस्पताल, स्टेशन तथा संकरी सड़कों पर जाम की समस्या गंभीर रूप ले चुकी थी। इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने वैज्ञानिक आधार पर वहन क्षमता तय करने और रूटवार संचालन नियंत्रित करने का निर्णय लिया। यह प्रस्ताव परिवहन संगठनों और ऑटो संघों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा के बाद तैयार किया गया। डीएम ने स्पष्ट कहा कि अंतिम रूट निर्धारण जनहित और यातायात व्यवस्था को ध्यान में रखकर किया जाएगा।
तीन जोनों में विभाजित परिवहन व्यवस्था
नई योजना में पटना को तीन जोनों—ग्रीन, येलो और ब्लू—में बांटा गया है। इन जोनों में ट्रैफिक लोड, सड़क की चौड़ाई, भीड़भाड़ और संवेदनशील क्षेत्रों के आधार पर रूट तय किए गए हैं।
ग्रीन जोन: सबसे अधिक भीड़भाड़ वाले क्षेत्र
ग्रीन जोन के अंतर्गत वे इलाके शामिल हैं जहाँ ट्रैफिक का दबाव सबसे अधिक है। इनमें बाजार, स्कूल, स्टेशनों के आसपास की सड़कें और संकरी गलियाँ शामिल हैं। इन रूटों पर ऑटो और ई-रिक्शा की संख्या सख्ती से नियंत्रित की जाएगी ताकि जाम की स्थिति न बने।
ग्रीन जोन के प्रमुख रूट हैं—
सीडीए बिल्डिंग, पटना जंक्शन, लोहानीपुर, खेमनीचक, अशोक राजपथ, गायघाट, दीदारगंज, मालसलामी, कंकड़बाग, कुम्हरार, गुलजारबाग, हनुमान नगर, सिपारा पुल, जीरो माइल, आईएसबीटी बैरिया, राजेंद्र नगर स्टेशन, बहादुरपुर गुमटी, पटना सिटी और हाजीपुर।
येलो जोन: मध्यम ट्रैफिक वाले मार्ग
येलो जोन में वे रूट शामिल हैं जहाँ ट्रैफिक का दबाव मध्यम रहता है। ये रास्ते अपेक्षाकृत चौड़ी सड़कों और आवासीय–व्यावसायिक क्षेत्रों से गुजरते हैं। यहाँ ऑटो संचालन नियंत्रित रहेगा, पर प्रतिबंध ग्रीन जोन जितना कड़ा नहीं होगा।
मुख्य रूट हैं—
राजा बाजार, आशियाना–जगदेव पथ, सगुना मोड़, बोरिंग रोड, पाटलिपुत्र, कुर्जी मोड़, बांसघाट, राजापुर पुल, दानापुर, फ्रेजर रोड, रामनगरी मोड़, सोनपुर और हाजीपुर।
ब्लू जोन: शहर के बाहरी और एंट्री–एग्जिट पॉइंट
ब्लू जोन शहर के आउटर हिस्सों, बड़े बस टर्मिनलों और मुख्य प्रवेश व निकासी मार्गों को कवर करता है। इन रूटों पर वाहन संख्या नियंत्रित की जाएगी ताकि शहर में प्रवेश और निकासी सुचारु रहे।
ब्लू जोन के रूट हैं—
गर्दनीबाग, अनीसाबाद, फुलवारीशरीफ, खगौल, जीरो माइल, आईएसबीटी, करबिगहिया, बिरला कॉलोनी, मगदेवपथ, पुनपुन, पुरंदरपुर और सिपारा पुल।
रूटवार वहन क्षमता और वाहन संख्या की सीमा
26 रूटों की संयुक्त वहन क्षमता 22,065 वाहनों की निर्धारित की गई है। लेकिन ट्रैफिक को सुचारु रखने के लिए प्रशासन ने 80% यानी 18,181 वाहनों को ही रूट पर चलने की अनुमति देने का निर्णय लिया है। इसके अलावा 10% क्षमता रिजर्व्ड वाहनों के लिए और शेष 10% प्रशासनिक आवश्यकताओं तथा विशेष परिस्थितियों के लिए सुरक्षित रहेगी।
संगठनों की मांग और प्रशासन का रुख
प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान ऑटो और ई-रिक्शा संगठनों ने डीएम से नए परमिट जारी करने की मांग रखी। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि रूट निर्धारण और परमिट जारी करने की प्रक्रिया जनहित को ध्यान में रखकर ही आगे बढ़ाई जाएगी। नई व्यवस्था का संशोधित प्रारूप जुलाई से लागू किया जाएगा और इसके उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। पटना में लागू की गई यह नई ऑटो–ई रिक्शा व्यवस्था शहर की यातायात समस्याओं को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भीड़भाड़ वाले मार्गों पर नियंत्रण, वहन क्षमता का वैज्ञानिक निर्धारण और जोनवार निगरानी से ट्रैफिक जाम में कमी आने की उम्मीद की जा रही है। प्रशासन का मानना है कि यदि यह व्यवस्था सफलतापूर्वक लागू होती है, तो शहर में यातायात व्यवस्था अधिक सुरक्षित, तेज और सुव्यवस्थित होगी।


