ग्रह-गोचरों के युग्म संयोग में नाग पंचमी शुक्रवार को, नाग पूजन से कालसर्प दोष से मिलता है छुटकारा

पटना। श्रावण शुक्ल पंचमी शुक्रवार को ग्रह गोचरों के युग्म संयोग में नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा। हस्त नक्षत्र एवं साध्य योग के साथ कल रवियोग व सिद्धयोग का पुण्य फलदायी संयोग बन रहा है। इस सुयोग में नाग देवता की पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलेगी। नागो के प्रजातियो में अनंत, वासुकि, शेष, पद्मनाभ, कंबल, कर्कोटक, अश्व, धृतराष्ट्र, शंखपाल, कालीय तथा तक्षक प्रमुख है। देवी भागवत में प्रमुख नागों का नित्य स्मरण किया गया है। ऋषि-मुनियों ने नागोपासना में अनेक व्रत-पूजन का विधान बताएं है।
तर्क शक्ति के परीक्षण का पर्व है नाग पंचमी
ज्योतिषाचार्य व कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा ने बताया कि जहां सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को उत्तर भारत में नाग पूजा की जाती है, वहीं दक्षिण भारत में यह पर्व कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार सावन महीने की पंचमी नाग देवता को समर्पित है, यही कारण है कि इसे नागपंचमी कहा जाता है। इस दिन सर्पों के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है। दूध और लावा चढ़ाया जाता है। भगवान भोलेनाथ को सर्प अत्यंत प्रिय हैं, इसीलिए उनके प्रिय माह सावन में नाग पंचमी का त्योहार आता है, जिसे श्रद्धापूर्वक विधि विधान से मनाने पर भगवान शिव प्रसन्न हो कर मनचाहा वरदान देते हैं। नाग पंचमी का पर्व नागों के साथ जीवों के प्रति सम्मान, उनके संवर्धन एवं संरक्षण की प्रेरणा देता है। यह बल, पौरुष, ज्ञान, वृद्धि एवं तर्क शक्ति के परीक्षण का पर्व है।
नाग पूजन से कालसर्प दोष से छुटकारा
ज्योतिषी झा ने गरुड़ पुराण के हवाले से बताया कि सावन के कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष को नाग पंचमी के दिन व्रत भी रखते हैं। व्रत करने वाले श्रद्धालु मिट्टी या आटे का सर्प बनाकर उन्हें विभिन्न रंगों से सजाते हैं और सजाने के बाद फूल, खीर, दूध, लावा, धुप, दीप आदि से उनकी पूजा करते हैं। नाग देवता को पंचमी तिथि का स्वामी माना जाता है। इस दिन सर्प के प्रकोप से बचने के लिए नाग पंचमी की पूजा की जाती है। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष है, उन्हें इस दिन नाग देवता की पूजा करनी चाहिए, इस दिन पूजा करने से कुंडली का यह दोष समाप्त हो जाता है। नाग पूजा के बाद “ॐ भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात्” मंत्र से इनकी प्रार्थना करने से सर्पदोष एवं कालसर्प दोष के मुक्ति मिलती है। इस दिन सर्पों को दूध से स्नान और पूजन कर दूध से पिलाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है।
मनसा देवी की पूजा
पंडित राकेश झा शास्त्री के अनुसार उत्तरी भारत में नाग पंचमी के दिन मनसा देवी की भी पूजा की जाती है। देवी मनसा को नागों की देवी माना गया है, इसीलिए बंगाल, उड़ीसा और अन्य क्षेत्रों में मनसा देवी के दर्शन व उपासना भी किया जाता है। नागपंचमी पर रुद्राभिषेक का भी अत्यंत महत्व है। पुराणों के अनुसार पृथ्वी का भार शेषनाग ने अपने सिर पर उठाया हुआ है इसलिए उनकी पूजा का विशेष महत्व है। ये दिन गरुड़ पंचमी के नाम से भी प्रसिद्ध है और नाग देवता के साथ इस दिन गरुड़ की भी पूजा की जाती है।
अनिष्ट दोषों से मुक्ति हेतु राशिनुसार उपाय
मेष- रुद्राष्टाधायी का पाठ करें।
वृष- बहते हुए पानी में तांबे का टुकड़ा बहाएं।
मिथुन- किसी कुष्ट रोगी को मूली दान करें।
कर्क- बहते हुए पानी में नारियल प्रवाहित करें।
सिंह- नारियल व ग्यारह दाने बादाम को लाल रुमाल में बांध कर अपनी मनोकामना को कहते हुए भूमिगत कर दे ।
कन्या- असहाय को अन्न व को धनिया दान करें।
तुला- जौ के दाने पक्षियों को खिलाएं।
वृश्चिक- शिव पूजन के बाद विध्नहर्ता गणेश की दूर्वा एवं मोदक चढ़ाएं।
धनु- चींटियों को आटा या मीठा खिलाएं।
मकर-किसी जरूरतमंद को तिल और जौ का दान करें।
कुंभ- बहते हुए जल में कोयला प्रवाहित करे।
मीन- अष्टधातु का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करें।

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