कोरोना महामारी और सरकारी गाइडलाईन पर आस्था भारी : पटना में माता की डाली खप्पड़ पूजा में शामिल हुए हजारों श्रद्धालु

फुलवारी शरीफ (अजीत)। सरकार के द्वारा कोरोना से बचने के लिए जारी की गई गाइडलाइन को धत्ता बता कर हजारों श्रद्धालु माता के जयकारे लगाते सौ साल से अधिक समय से चली आ रही माता की डाली खप्पड़ पूजा में शामिल हुए। श्रद्धालुओं का यह जनसैलाब कोरोना महामारी के खात्मे की प्रार्थना करते हुए डाली पूजा में शामिल हुए और कोरोना महामारी पर आस्था को भारी जता दिया। बता दें कि करीब सौ साल पहले राजधानी पटना शहर में भयंकर महामारी से लोगों की जान बचाने के लिए संगत पर फुलवारी के माता काली के मंदिर से विधि विधान से मंत्रोच्चार के साथ पूजन हवन के बाद हवन की अग्नि खप्पड़ में लेकर शहर की परिक्रमा करने की परंपरा की शुरूआत हुई थी।


ऐसा कहा जाता है कि कालान्तर में देवी मां के मंदिर के पुजारी जी को माता ने खप्पड़ यानी माता की डाली निकालने और शहर की परिक्रमा करने को कहा था। माता की डाली से निकले धुंआ और अग्नि के प्रभाव से महामारी का खात्मा होने की बात बताई गई। सौ साल पहले से चली आ रही परंपरा पर पिछले साल कोरोना महामारी के बढ़ते खतरे के बीच चंद लोगों के साथ मंदिर के पुजारी ने माता की डाली के साथ सांकेतिक परिक्रमा कर पूजन संपन्न कराया था। हालांकि इस बार भी कोरोना के खतरे को देखते हुए सरकार ने कोरोना के बचाव के लिए जारी गाइडलाइन का अनुपालन कराने के लिए पूजा समिति को आगाह किया था। प्रशासन ने सख्त हिदायत दी थी कि किसी भी हाल में खप्पड़ पूजा में चंद लोग ही पुजारी जी के साथ माता की डाली लेकर परिक्रमा में शामिल होंगे। वहीं गुरुवार देर शाम शहर में उमड़ती हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ देख प्रशासन के पसीने छूट गए।
पटना के जिलाधिकारी, एसएससी, रैपिड एक्शन फोर्स की भारी तादाद में तैनाती, बीएमपी, कई थानों की पुलिस, कई सिटी एसपी व कई डीएसपी समेत कई थानेदारों को कोरोना गाइडलाइन का पालन कराने की जिम्मेदारी दी गई थी, जिसकी धज्जियां उड़ाकर हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता के जयकारे लगाते हुए प्रसिद्ध पनघट पर देवी माता काली मंदिर से माता के डाली पूजा में शामिल हुए, आगे आगे पंडित जी अग्नि लेकर परिक्रमा करने के लिए दौड़ लगाएं और पारंपरिक हथियार लाठी-डंडे, तलवार, भाला, त्रिशूल लिए श्रद्धालुओं का जनसैलाब माता के जयकारे लगाते माता की डाली परिक्रमा में शामिल हुए। इस दौरान वरीय आला अधिकारी से लेकर स्थानीय पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बने रहने को मजबूर दिखे।
क्यों होता है खप्पड़ पूजा
पूजा समिति के देवेंद्र प्रसाद ने बताया कि वर्ष 1818 में फुलवारीशरीफ एवं आसपास के इलाकों में भयंकर महामारी का प्रकोप फैला था। उस वक्त नगर सहित दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में कई लोग और समय काल के गाल में समा गए थे। तत्कालीन भगत झमेली बाबा ने सपने में यह देखा कि मां देवी इस महामारी के लिए पूजा करने की बात बता रही हैं। फिर झमेली बाबा ने मां देवी की आराधना शुरू की और पूजा संपन्न होते ही ग्रामीण क्षेत्रों से महामारी का प्रकोप खत्म हो गया। साथ ही साथ लोगों के और समय महामारी से मरने का सिलसिला भी अचानक रुक गया। तब से प्रत्येक वर्ष श्रावण माह में विधि विधान के साथ प्रखंड के नजदीक स्थित शीतला मंदिर में विशाल रूप से खप्पड़ पूजा का आयोजन किया जाता है।

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