पटना में राजद कार्यकर्ताओं ने रोका लालू का काफिला, मसौढ़ी विधायक को हटाने की मांग, राबड़ी आवास के बाहर घंटों किया हंगामा
पटना। पटना की सियासत में मंगलवार देर शाम उस समय हलचल मच गई जब राबड़ी देवी आवास के बाहर राजद कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया। प्रदर्शनकारियों का गुस्सा मसौढ़ी की विधायक रेखा पासवान के खिलाफ था। उन्होंने राबड़ी आवास के बाहर नारेबाजी की और रेखा पासवान को हटाने की मांग की। इस दौरान हालात इतने बिगड़ गए कि कार्यकर्ताओं ने लालू यादव के काफिले को भी रोक लिया।
लालू यादव के सामने नारेबाजी
सूत्रों के अनुसार, राबड़ी आवास के बाहर बड़ी संख्या में कार्यकर्ता जमा हो गए। वे “रेखा हटाओ, मसौढ़ी बचाओ” के नारे लगा रहे थे। जब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपने आवास से बाहर निकले, तो प्रदर्शनकारी उनके काफिले के सामने आ गए। बॉडीगार्ड्स ने कार्यकर्ताओं को पीछे धकेलने की कोशिश की, जिससे हल्की झड़प भी हुई। हालांकि लालू यादव ने स्थिति को गंभीर रूप नहीं दिया और बिना प्रतिक्रिया दिए अपने काफिले के साथ आगे बढ़ गए।
विधायक रेखा पासवान का पलटवार
विधायक रेखा पासवान ने प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि ये सभी “भाड़े के टट्टू” हैं जिन्हें पैसे देकर बुलाया गया है। उनके अनुसार, “प्रदर्शन में शामिल लोगों को 1000 या 500 रुपए देकर बुलाया गया है। असली कार्यकर्ता कोई हंगामा नहीं कर रहे, बल्कि मेरे विरोधी गुट ने यह साजिश की है। उन्होंने कहा कि वे अपने क्षेत्र में जनता के बीच लगातार काम कर रही हैं और पार्टी नेतृत्व को उनकी मेहनत की जानकारी है। उन्होंने यह भी कहा कि विरोध करने वालों में कोई वरिष्ठ या प्रभावशाली नेता नहीं है, सिर्फ कुछ असंतुष्ट युवक हैं जो भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
विधायक का विरोध करने के कारण
विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं ने विधायक पर कई आरोप लगाए। उनका कहना है कि रेखा पासवान ने पिछले दस वर्षों में मसौढ़ी के लोगों के लिए कोई ठोस काम नहीं किया है। उन्होंने विधायक पर भ्रष्टाचार और घूसखोरी के गंभीर आरोप लगाए। एक कार्यकर्ता चंदन यादव ने कहा, “हमारी लड़ाई मान-सम्मान की है, किसी निजी स्वार्थ की नहीं। विधायक ने अपने कार्यकाल में सिर्फ अपने समर्थकों को लाभ पहुंचाया है।”
दूसरे कार्यकर्ता नुरुल प्रसाद ने कहा कि “रेखा पासवान के रहते क्षेत्र में सिर्फ भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद बढ़ा है। अब समय आ गया है कि पार्टी उन्हें हटाकर किसी योग्य उम्मीदवार को मौका दे।”
कार्यकर्ताओं की मांग और आंदोलन का स्वरूप
प्रदर्शनकारियों ने राबड़ी आवास के बाहर देर रात तक डेरा डाला और लगातार नारेबाजी करते रहे। उनके हाथों में पोस्टर थे जिन पर लिखा था — “रेखा हटाओ, मसौढ़ी बचाओ।” कई कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि यह आंदोलन किसी व्यक्तिगत रंजिश का परिणाम नहीं है, बल्कि मसौढ़ी के विकास के लिए जरूरी है। उनका मानना है कि अगर पार्टी को क्षेत्र में बेहतर परिणाम चाहिए, तो उम्मीदवार बदलना ही पड़ेगा। एक कार्यकर्ता ने कहा, “हम युवा कार्यकर्ता पार्टी की असली ताकत हैं। लालू जी हमारी मांग को जरूर सुनेंगे क्योंकि उन्होंने हमेशा कार्यकर्ताओं को महत्व दिया है।”
रेखा पासवान की राजनीतिक पृष्ठभूमि
रेखा पासवान दलित समाज से आती हैं और राजद की सक्रिय नेता रही हैं। उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में मसौढ़ी सीट से जीत दर्ज की थी। उस चुनाव में उन्होंने जदयू उम्मीदवार नूतन पासवान को 32,227 वोटों से हराया था। उन्हें कुल 98,696 वोट मिले थे, जो उनकी राजनीतिक यात्रा की बड़ी सफलता मानी गई। हालांकि अब उनके खिलाफ पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ता जा रहा है। कार्यकर्ता उन्हें क्षेत्र में कमजोर जनसंपर्क और कथित भ्रष्टाचार का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
राजनीतिक असर और भविष्य की दिशा
राबड़ी आवास के बाहर हुए इस हंगामे ने राजद की अंदरूनी स्थिति को उजागर कर दिया है। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले पार्टी में इस तरह का विरोध नेतृत्व के लिए चुनौती बन सकता है। जहां एक ओर लालू यादव कार्यकर्ताओं की नाराजगी को नजरअंदाज करते दिखे, वहीं रेखा पासवान का आक्रामक बयानबाजी करना विवाद को और गहरा सकता है। अब देखना होगा कि पार्टी नेतृत्व इस मसले को कैसे सुलझाता है। अगर कार्यकर्ताओं की मांगों को अनसुना किया गया, तो यह असंतोष चुनावी रणनीति पर असर डाल सकता है। इस पूरी घटना ने साफ कर दिया है कि मसौढ़ी की राजनीति में फिलहाल सियासी उबाल जारी है। एक तरफ कार्यकर्ताओं का रोष और दूसरी ओर विधायक का बचाव—दोनों के बीच की यह टकराहट आने वाले दिनों में राजद के लिए सिरदर्द साबित हो सकती है।


