PATNA : रोशनी से नहाया खानकाह-ए-मुजिबिया, सज्जादानशी आयतुल्लाह कादरी ने मजार पर की चादरपोशी, क्या कहते हैं जायरीन

फुलवारी शरीफ। सोमवार को खानकाह मुजिबिया के सज्जादानशी हजरत मौलाना सय्यद शाह आयतुल्लाह कादरी ने खानकाह मुजिबिया के संस्थापक ताजुलआरफीन पीर मुजीबउल्लाह कादरी रहमतुल्लाह अलैह की मजार पर चादरपोशी कर अमन चैन की दुआएं मांगी। वहीं अकीदतमंदों व जायरीनों के लिए उलेमाओं ने मुहम्मद साहेब के जीवनी पर तकरीरें पेश की।


उधर सालाना उर्स मेला अपने शबाब पर है। इस्लाम के अंतिम पैगम्बर हजरत मोहम्मद स.व. के यौम ऐ पैदाइश के अवसर पर सुप्रसिद्व खानकाह मुजिबीया के सलाना उर्स मेले के दूसरे जायरिनों के आने का दौर जारी है। पूरा खानकाह मुजिबिया जायरिनों से पटा हुआ है। उर्स को लेकर खानकाह को रंग-बिरंगी रौशनी में नहाया गया है। मेला में देश-विदेश के आये जायरीन खरीदारी और घुमने का लुत्फ उठा रहे हैं। नगर परिषद के कर्मचारी साफ सफाई में पूरी मुस्तैदी से जुटे रहे। कोरोना के चलते दो सालों बाद उर्स मेला लगा है लेकिन पूर्व के सालों की तरह इस बार उर्स में भारी भीड़ नहीं उमड़ी। पुलिस प्रशासन के अधिकारियों की निगरानी में मेला परिसर और आसपास के इलाके में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद किये गए हैं। खानकाह मुजिबिया की ओर से आयोजित लंगर में जायरिनों की भीड़ तब्बर्रुक लेने के लिए उमड़ गयी और लोगों ने श्रद्वा के साथ तब्बुर्रक ग्रहण किया।
क्या कहते हैं जायरीन
1. साकलैन (20 वर्ष) जो बोकारो से आये हैं, उनका कहना है कि मैं यहां पहली बार आया हूं और आगे भी इस दरबार में आता रहूंगा। आने से दिल व दिमाग को सुकून मिलता है और यहां आने के बाद जाने का मन नहीं करता।
2. मो. कुदरातुल्लाह (45 वर्ष) जो बोकारो से आये हैं, उनका कहना है कि मैं 15 वर्ष से यहां आ रहा हूं और आगे भी आता रहूंगा। उन्होंने कहा कि इस दरबार ने मुझे सुख-शांति व तरक्की दी है।
3. कुरैशा खातुन (55 वर्ष) जो धनबाद से आयी हैं, उनका कहना है कि मैं 35 वर्ष से यहां आ रही हूं और आगे भी आती रहूंगा। उन्होंने कहा कि यहां की बात ही कुछ और है, जो दूसरे जगह नहीं मिलती है।
4. अरशुन निशा (80 वर्ष) जो बक्सर से आयीं हैं, उनका कहना है कि मैं बचपन से यहां आ रही हूं और इसांअल्लाह आगे भी आती रहूंगी। मुझे यहां आने पर बहुत सकुन मिला।
5. मुजिबुल आरफीन (33 वर्ष) जो भागलपुर से आये हैं, उनका कहना है कि मैं बचपन से अपने अब्बा के साथ यहां आ रहा हूं और आगे भी आता रहूंगा।
6. कुर्बान अंसारी (85 वर्ष) जो धनबाद से आये हैं, उनका कहना है कि मैं 25 साल की उम्र से आ रहा हूं और मैं यही सें मुरीद हूं और यहां से जाने का मन नहीं करता।

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