December 3, 2025

जदयू मंत्री का बड़ा दावा, जमां खान बोले- महागठबंधन के कई विधायक जल्द एनडीए में होंगे शामिल

पटना। बिहार में 18वीं विधानसभा का पहला सत्र शुरू होते ही सियासी माहौल अचानक तेज हो गया। सोमवार को नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण के साथ सत्र की शुरुआत हुई, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा का केंद्र बना जदयू मंत्री जमां खान का बयान। उनके एक दावे ने महागठबंधन की चिंता बढ़ा दी है और राजनीतिक हलकों में नए समीकरण बनने की आशंका तेज हो गई है।
महागठबंधन में टूट का संकेत
जमां खान ने विधानसभा परिसर में प्रवेश करते समय मीडिया से बातचीत में बड़ा दावा किया। जब उनसे पूछा गया कि क्या विपक्षी विधायक एनडीए के संपर्क में हैं, तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि कई नेता संपर्क में हैं और जल्द ही एनडीए में शामिल होने वाले हैं। उनका कहना था कि बातचीत चल रही है और आने वाले दिनों में कई चेहरे बदलते हुए दिखाई देंगे। उनके इस बयान ने महागठबंधन खेमे में बेचैनी बढ़ा दी है। मंत्री के अनुसार, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काम और उनकी लोकप्रियता के कारण विपक्ष के नेता भी उनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं।
महागठबंधन की कमजोर स्थिति और बढ़ती चुनौतियाँ
विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को उम्मीद से कम सीटें मिलीं और वह मात्र 35 पर सिमट गया। वहीं एनडीए ने 202 सीटों के साथ भारी बहुमत हासिल कर लिया। ऐसी स्थिति में विपक्ष पहले से ही कमजोर है, और अब अगर उसके विधायक टूटते हैं, तो तेजस्वी यादव के लिए यह बड़ी चुनौती बन सकती है। तेजस्वी पहले ही अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए लगातार बैठकें कर रहे हैं। हाल ही में महागठबंधन के सभी नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें तेजस्वी यादव को नेता प्रतिपक्ष चुना गया। लेकिन सूत्रों के अनुसार, बैठक में कई विधायक उपस्थित नहीं थे, जिससे अंदरूनी असंतोष और संभावित टूट का संकेत मिला।
जदयू का दावा और विपक्ष की चिंता
जमां खान ने यह भी कहा कि एनडीए से संपर्क इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकास कार्यों ने विपक्षी नेताओं का भी भरोसा जीता है। हालांकि विपक्ष इसे राजनीतिक दबाव और मनोवैज्ञानिक रणनीति बता रहा है, लेकिन विधान सभा में संख्या बल देखते हुए महागठबंधन के भीतर चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। राजद के पास पहले से ही कम विधायक हैं। ऐसे में यदि टूट होती है, तो सदन में विपक्ष की ताकत और कमजोर पड़ सकती है। यह स्थिति तेजस्वी यादव के राजनीतिक अस्तित्व और नेतृत्व पर भी सवाल खड़े कर सकती है।
कांग्रेस और राजद के बीच बढ़ती दूरी
महागठबंधन की परेशानी सिर्फ विधायकों के संभावित टूट तक सीमित नहीं है। कांग्रेस भी अंदर से असंतोष में है। चुनाव के बाद हुई समीक्षा बैठकों में कई कांग्रेस नेताओं और हारे हुए प्रत्याशियों ने हार का ठीकरा राजद और खासकर तेजस्वी यादव पर फोड़ा। कुछ नेताओं ने तो अलग राह अपनाने की भी बात कही है। यह स्थिति संकेत देती है कि महागठबंधन अंदरूनी खींचतान से गुजर रहा है और इस समय उसका कोई भी घटक दल मजबूत मोर्चा बनाने की स्थिति में नजर नहीं आ रहा।
एनडीए की रणनीति और महागठबंधन की राजनीतिक उलझनें
202 सीटों के विशाल बहुमत के साथ एनडीए सरकार पहले से मजबूत स्थिति में है। अब जदयू और भाजपा के नेताओं के ऐसे बयानों से साफ है कि सरकार की नजर विपक्ष को और कमजोर करने पर भी है। उसी कड़ी में जमां खान का बयान एक राजनीतिक संदेश माना जा रहा है। वहीं, महागठबंधन के नेता इसे एनडीए की मानसिक दबाव की रणनीति बता रहे हैं, लेकिन अंदरूनी असंतोष और तेजी से बदलते राजनीतिक समीकरण यह संकेत दे रहे हैं कि आने वाले दिनों में विपक्ष के सामने चुनौतियाँ और बढ़ सकती हैं।
सत्र के पहले दिन ही सियासी सरगर्मी तेज
विधानसभा सत्र की शुरुआत के पहले दिन ही माहौल गरमा गया है। अब देखना यह होगा कि विपक्ष इस स्थिति से कैसे निपटता है और क्या महागठबंधन अपने विधायकों को टूटने से बचा पाता है या नहीं। साथ ही आने वाले दिनों में एनडीए के इन दावों में कितनी सच्चाई सामने आती है, यह भी बिहार की राजनीति में अहम भूमिका निभाएगा।

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