बक्सर : गरीब के बच्चे पढ़ लिखकर IASऔर IPS तो बन सकते हैं लेकिन जज नहीं ; उपेंद्र कुशवाहा
बक्सर। बिहार के बक्सर में पूर्व केंद्रीय मंत्री सह JDU नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि न्यायाधीशों के चयन की प्रक्रिया कॉलेजियम सिस्टम में काफी त्रुटियां हैं। वहां सब कुछ पारदर्शी नहीं है। जज लोगों की एक कमेटी है। वही जिसका नाम लिख देते है वह जज बन जाता है। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट का। हम यह कह रहे है कि यह जो व्यवस्था है हिंदुस्तान के संविधान के खिलाफ की व्यवस्था है। हिंदुस्तान के लोकतंत्र के खिलाफ की व्यवस्था है। हिंदुस्तान में जो आम लोग है गरीब लोग है। वही उन्होंने कहा की यह व्यवस्था जब तक रहेगी गरीबों को न्याय नहीं मिल पायेगा। इसलिए इस व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है। यह बात बिहार के बक्सर के चौसा नगर पंचायत में पहुंचे उपेंद्र कुशवाहा ने प्रेसवार्ता के दौरान कही। वही उन्होंने कहा कि वह न्यायालय के विरुद्ध बोलने वाले कोई पहले व्यक्ति नहीं हैं। विभिन्न न्यायालय के पूर्व न्यायाधीशों ने कई बार इस व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। इसलिए भारत सरकार में रहते हुए हमने इस बात को शुरू किया है। जो आज भी बोल रहे है। जो कॉलेजियम सिस्टम है वहां की बहाली का उसमें कोई गरीब घर का किसी भी जात का व्यक्ति हो, दलित और पिछड़ा को तो ही छोड़ दिजीये इसके लिए तो कोई उपाय ही नहीं। पढ़ने में कितना भी मेरिट हो वह IPS, IAS तो बन सकता है। लेकिन हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज नही बन सकता है।
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पार्लियामेंट से भी सबसे बड़ी संस्था हो गई है
वही उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पार्लियामेंट से भी सबसे बड़ी संस्था हो गई है। पार्लियामेंट का निर्णय के लिए लोग संघर्ष करते है। रोड पर अपने हक के लिए कुर्बानी होती है। लाठी खाते है मारे जाते है। वही उसके बाद सरकार निर्णय लेती है। सरकार तो निर्णय ले लेती है। पार्लियामेंट भी डिसीजन ले लेता है। लेकिन उसी में से कोई व्यक्ति उठता है कोर्ट में चला जाता है। इसके बाद पूरा का पूरा संघर्ष बर्बाद हो जाता है। क्योंकि कोर्ट कह देता है कि हम इसको नहीं मानेंगे। कोर्ट में ऐसी स्थिति का मूल जड़ इसके बहाली सिस्टम के कारण है।


