होलिका दहन गुरूवार को इस समय से, रंगोत्सव का पर्व होली 19 को

* कुलदेवी की पूजा व सिंदूर अर्पण शुक्रवार को
* लाल, पीला व गुलाबी रंग का प्रयोग ही शास्त्रोचित : आचार्य राकेश झा


पटना। फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा गुरुवार को दोपहर 01:13 से शुरू हो रहा है, जो शुक्रवार की दोपहर 01:03 बजे तक रहेगा। होलिका दहन रात्रि बेला व पूर्णिमा तिथि तथा भद्रा मुक्त काल में कल मध्य रात्रि 01:09 बजे के बाद किया जाएगा। दोपहर 01:20 बजे से मध्यरात्रि 12:57 बजे तक भद्रा रहेगा, इसीलिए होलिका दहन का पुनीत कार्य इसके बाद होगा। शुक्रवार को उद्या तिथि के मान तथा दोपहर तक पूर्णिमा होने से हिन्दू धर्मावलंबी कुलदेवी की पूजा व सिंदूर अर्पण करेंगे। रंगोत्सव का पर्व होली चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में हस्त नक्षत्र से युक्त वृद्धि योग में शनिवार को मनायी जाएगी। इस त्योहार को लेकर दोनों मिथिला व बनारसी पंचांग एकमत है। शास्त्रोचित मत से होली में लाल, पीला व गुलाबी रंग का ही प्रयोग करना चाहिए।
होली पर छह वर्षों बाद बना ऐसा संयोग
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य आचार्य राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि छह वर्षों के बाद होलिका दहन के एक दिन बाद होली मनाने का ऐसा संयोग बना है। इससे पूर्व 2012 में सात मार्च को होलिका दहन व नौ मार्च को होली हुआ था, फिर 2013 में भी 26 मार्च को होलिका दहन 28 मार्च को होली मनी थी। वहीं वर्ष 2016 में 22 मार्च को होलिका दहन और 24 मार्च को होली मनाई गई थी।
होलिका पूजन से नाश होते अनिष्ट
ज्योतिषी झा ने कहा कि प्रेम व सौहार्द्र का पर्व होली में होलिका दहन का महत्वपूर्ण विधान है। होलिका के पूजन में श्रद्धालु अपने सभी अनिष्टता का नाश, सुख-शांति, समृद्धि व संतान की उन्नति की कामना करते हैं। अपने अंदर के राग, द्वेष, क्लेश, दु:ख को होलिका की अग्नि में खत्म हो जाने की प्रार्थना करते हैं। गुरुवार की मध्य रात्रि तक भूलोक पर भद्रा के वास होने की वजह से होलिका दहन इसके बाद किया जाएगा। भद्रा में होलिका दहन करने से हानि और अशुभ फलों की प्राप्ति होती है। होलिका की पूजा करते समय ‘ॐ होलिकायै नम:’ मंत्र का उच्चारण करने से अनिष्ट कारक का नाश होता है।
होलिका भस्म का होता है खास महत्व
युवा ज्योतिषी पंडित राकेश झा के मुताबिक होलिका दहन की भस्म को काफी पवित्र माना गया है। इस आग में गेहूं, चना की नई बाली, गन्ना को भुनने से शुभता का वरदान मिलता है। होली के दिन संध्या बेला में इसका टीका लगाने से सुख-समृद्धि और आयु के वृद्धि होती है। इसके साथ ही इस दिन ईश्वर से नई फसल की खुशहाली की कामना भी की जाती है। सेंक कर लाये गये धान्यों को खाने से काया हमेशा निरोग रहती है। घर में माता अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है।
होलिका दहन मुहूर्त
होलिका दहन : गुरूवार मध्य रात्रि 12:58 बजे से 02:12 बजे तक
भद्रा : गुरूवार दोपहर 01:20 बजे से मध्यरात्रि 12:57 बजे तक
पूर्णिमा तिथि: 17 को दोपहर 01:13 बजे से 18 की दोपहर 01:03 बजे तक
राशि के अनुसार होलिका पूजन
मेष व वृश्चिक- गुड़ की आहुति दें
वृष राशि- चीनी की आहुति दें
मिथुन व कन्या- कर्पूर की आहुति दें
कर्क – लोहबान की आहुति दें
सिंह राशि- गुड़ की आहुति दें
तुला राशि- कर्पूर की आहुति दें
धनु व मीन- जौ और चना की आहुति दें
मकर व कुंभ- तिल को होलिका दहन में डालें

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