कलश स्थापना के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग में गुप्त नवरात्र शुरू, गज पर होगा माता का आगमन और महिष पर होगी विदाई

पटना । आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा रविवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में ग्रीष्मकालीन गुप्त नवरात्र शुरू हो गया है। आज कलश स्थापना के साथ श्रद्धालु माता के प्रथम स्वरूप का पूजा हो रही है। इस गुप्त नवरात्र में पंचमी तिथि के क्षय होने से नौ दिनों तक माता के विभिन्न रूपों की पूजा होगी।

श्रद्धालु निराहार या फलाहार रहकर माता की आराधना करेंग। आज से घरों एवं मंदिरों में कलश की स्थापना और शक्ति की पूजन होंगी। गुप्त नवरात्र में तंत्र साधना की प्रधानता होती है।

इस नवरात्र में मां कामाख्या की पूजा विशेष तौर पर की जाती है। इस नवरात्र माता गज यानी हाथी पर आ रही है, इससे आगमन से उत्तम वृष्टि के आसार होंगे।

शक्ति पूजन से निरोगता का वरदान

भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य आचार्य पंडित राकेश झा ने शिव पुराण एवं मत्स्य पुराण के हवाला से बताया कि आषाढ़ मास के देवता इंद्र व महाकाली है।

यह मास प्रकृति को अपने गोद में लिए हुए है। इसीलिए इस मास में बारिश की प्रधानता रहती है। ऋतु संधि में अनेक प्रकार की बीमारियों का प्रकोप बढ़ने से इनसे बचाव के लिए आषाढ़ मास में शक्ति पूजन की प्राचीन परंपरा है।

सर्वार्थ सिद्धि योग का बना संयोग

पंडित झा के कहा कि गुप्त नवरात्र का शुरू व समापन पर अति शुभकारी सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे है। इस नवरात्र में पूजा की शुरुआत आर्द्रा नक्षत्र में होने से योग व उत्तम हो गया है।

इस महायोग में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना अत्यंत कल्याणकारी होगा क नवरात्र में दुर्गा सप्तशती, देवी के विशिष्ट मंत्र का जाप, दुर्गा कवच, दुर्गा शतनाम का पाठ प्रतिदिन करने से रोग-शोक आदि का नाश होता है।

10 महाविद्याओं की होगी साधना

ज्योतिषी पं. झा के अनुसार इस गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। विशेषत: तांत्रिक क्रियाओं, शक्ति साधनाओं व महाकाल से जुड़े साधकों के लिये यह नवरात्र विशेष महत्व रखता है। इस दौरान देवी के साधक कड़े विधि-विधान के साथ व्रत और साधना करते हैं। देवी के 16 शक्तियों की प्राप्ति के लिए यह पूजन करते हैं।

देवी पूजन से अनिष्ट ग्रहों से मुक्ति

पंडित झा के कहा कि देवी मां की पूजन, हवन, वेद पाठ के उच्चारण से कष्टकारी ग्रह शनि, राहु और केतु से पीड़ित श्रद्धालुओं को लाभ होता है। दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति के लिए साधक महाकाली, तारा, भुवनेश्वरी, त्रिपुरसुंदरी, छिन्मस्तिका, भैरवी, बगलामुखी, माता कमला, मातंगी देवी की साधना करते हैं।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

चर मुहूर्त: प्रात: 06:39 बजे से 08:31 बजे तक
लाभ मुहूर्त: सुबह 08:31 बजे से 10:13 बजे तक
अमृत मुहूर्त: सुबह 10:13 बजे से 11:55 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त:- दोपहर 11:28 बजे से 12:22 बजे तक
गुली मुहूर्त:- शाम 03:19 बजे से 05:19 बजे तक

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