नई शिक्षक नियमावली को अविलंब वापस ले राज्य सरकार, नहीं तो सड़क से सदन तक होगा आंदोलन : नवल किशोर यादव

पटना। बिहार सरकार द्वारा कैबिनेट से स्वीकृत नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली पर BJP ने सवाल उठाया है। BJP के MLC और वरिष्ठ भाजपा नेता नवल किशोर यादव ने कहा है कि नई नियमावली 17 वर्षों से कार्यरत नियोजित शिक्षकों और सीटीईटी, एसटीईटी व टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के साथ घोर मजाक किया गया है। वही कोई सरकार जब नियमावली बनाती है तो पीछे वाली नियमावली को समाप्त करती है। वही इस सरकार के कामकाज का रवैया अजीब है। अब बिहार सरकार में 3 शिक्षक नियमावली हो गई है। उच्च शिक्षा में नेट क्वालिफाई कर चुके छात्रों का इंटरव्यू होता है असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी के लिए, लेकिन नीतीश कुमार को यह समझ नहीं आ रही कि 17-18 साल पढ़ाने वाले शिक्षक फिर से परीक्षा देंगे! शिक्षकों के एक्सपीरियंस का क्या होगा? वही उन्होंने कहा कि इस तरह की नियमावली नीतीश कुमार की क्रूर दिमाग की उपज है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। एक ओर राज्य की सरकार युवाओं को 10 लाख से अधिक नौकरी देने का सब्जबाग दिखा रही है, वहीं दूसरी ओर पूर्व से नियोजित शिक्षकों व विभिन्न प्रकार की परीक्षाओं को पास कर शिक्षक बनने की काबिलियत रखने वाले बेरोजगारों को नौकरी से वंचित कर रही है। जो शिक्षक 17 वर्षों की अवधि से राज्य के शिक्षा जगत को सुदृढ़ करने में लगे हैं उन्हें भी कोई लाभ नहीं दिया जाना सोच से पड़े है।
सड़क से सदन तक लड़ेंगे, सभी तरह के शिक्षक आंदोलन करेंगे : नवल किशोर यादव
वही उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने नियोजित शिक्षकों को सिर्फ ठगने का काम किया है। जब चुनाव का वक्त आता है तो महागठबंधन के शीर्ष नेतृत्व द्वारा समान काम के बदले समान वेतन आदि देने का प्रलोभन देकर चुनाव जीत जाते हैं। चुनाव जीतने के बाद वादों को भूलने की आदत सी पड़ गई है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने यदि बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक नियुक्ति नियमावली 2023 को अविलंब वापस नहीं लिया गया तो शिक्षकों के साथ हम सड़क से सदन तक लड़ेंगे और राज्य के सभी प्रकार के शिक्षक आंदोलन करेंगे। जिसकी सारी जवाबदेही राज्य सरकार की होगी। उन्होंने शिक्षकों से सत्य-अहिंसा के तहत आंदोलन करने का आह्वान भी किया है। सरकार के नौकरशाहों ने आनन-फानन में नियमावली बनाई है जिसका शिक्षा व शिक्षक से कोई मतलब नहीं है। इस तरह की नियमावली से शिक्षा, शिक्षक और छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकारमय होना निश्चित है।
