गणेश चतुर्थी कल: स्वाति नक्षत्र और ब्रह्म योग के पुण्य संयोग में मनेगी

पटना। सिद्धि विनायक की उपासना से हर काम सिद्ध हो जाता है। श्री गणेश जीवन की विघ्न-बाधाओं को दूर कर सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इसीलिए उन्हें सभी देवो में अधिक महत्व दिया गया है। भगवान गणेश की उपासना से जहां कार्यो में सफलता मिलती है, वहीं तमाम अवरोध हटते हैं और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। यह पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि से अनंत चतुर्दशी तक यानि पूरे 10 दिनों तक हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है।

कर्मकांड विशेषज्ञ पं. राकेश झा शास्त्री ने बताया कि यह महापर्व स्वाति नक्षत्र से युक्त ब्रह्म योग में शुरू होकर यह विशेष उत्सव अनंत चतुर्दशी यानि 23 सितंबर दिन रविवार को शतभिषा नक्षत्र तक मनाया जायेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काम सिद्धि के लिए गणेश की उपासना आवश्यक है। इस पर्व के अवसर पर गणेश की उपासना से हर कार्य सिद्ध हो सकते हैं। भगवान नारायण के वराह अवतार भी इसी दिन हुआ था। इस अति पुण्यप्रद योग में पूजा करने से विद्या-बुद्धि, सिद्धि, समृद्धि, शक्ति एवं सम्मान में वृद्धि होगी।

भादो मास का प्रमुख पर्व: पंडित राकेश झा ने कहा, गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतुर्दशी तक यानि पूरे 10 दिनों तक चलती है। इस बार 11 दिन तक चलेगी। वैनायकी गणेश चतुर्थी कल मनाई जाएगी लेकिन उपासना इससे आगे 10 दिनों तक चलेगी। पं० झा के आगे बताया कि भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। इनकी उपासना के लिए भाद्रपद का ये महीना काफी शुभ फलदायी होता है। इस वर्ष काफी उत्तम संयोग है जो मंगल मूर्ति की आराधना 10 के बजाय 11 दिनों की है।

चन्द्र दर्शन दोष से बचाव: पं० राकेश झा शास्त्री ने बताया भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानि आज की रात में चंद्रदर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है। जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। ऐसा शास्त्रों का निर्देश व अनुभूत है। कलंक के डर से मान्यता बन गई है जिससे लोग इस तिथि पर चंद्र दर्शन नहीं करते हैं। पंडित झा ने शास्त्रों का आशय देते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण को इस दिन चंद्र दर्शन से सयमंतक मणि चोरी का मिथ्या आरोप लगा था, फिर नारद मुनि के बताने पर उन्होंने गणेश चतुर्थी का व्रत कर इस दोष से मुक्त हुए थे।

पर्व को लेकर प्रचलित कथा: ज्योतिषी पं० झा ने कहा कि इस पर्व को लेकर प्राचीन कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार शिव ने क्रोध में गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया था। इसके बाद पार्वती के नाराज होने पर उन्होंने गणेश को नया रूप दिया। बाद में गणेश प्रथम पूज्य देवता बने। शास्त्रों में गणेश की उपासना के कई विधान और शुभ फलदायक बताया गया है। गणपति की पूजा- अर्चना से हर काम पूरा होता है तथा भादो माह में उनकी पूरे देश में उपासना धूमधाम से की जाती है।

पूजन का शुभ मुहूर्त: पंडित झा ने बताया कि सिद्धि विनायक गणेश का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था, इसीलिए इसी काल में पूजा करना शुभ माना जाता है। पूजा का मुहूर्त प्रात: 6:55 बजे से पूरे दिन तक है।

अभिजीत मुहूर्त :- दोपहर 11:21 बजे से 1:30 बजे

गुली काल मुहूर्त :- सुबह 8:40 बजे से 10:13 बजे

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