बिहार की मछली का मजा लेंगे नेपाल और भूटान के लोग, मत्स्य उत्पादन में बिहार बनने जा रहा आत्मनिर्भर राज्य

पटना। बिहार में मत्स्य उत्पादन अब तेजी से फायदे का बाजार बनता जा रहा है। मत्स्य उत्पादन मे बिहार के किस आत्मनिर्भर बन रहे हैं। वही इस वर्ष बिहार में मत्स्य का उत्पादन लक्ष्य से ज्यादा हुआ है। इससे किसानों को अच्छी आमदनी मिल सकती है। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के प्रधान महासचिव डॉक्टर एन विजयलक्ष्मी ने बामेती में आयोजित एक कार्यक्रम में ये विचार व्यक्त की। वही इस कार्यक्रम का शुभारंभ उन्होंने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। उन्होंने आगे कहा कि अब बिहार के मछली को नेपाल, भूटान सहित अन्य राज्यों से भी मांग बढ़ती जा रही है। बिहार के मछली का स्वाद और मजा अब नेपाल, भूटान सहित देश के सभी राज्यों के लोग ले सकेंगे। दरअसल, मंगलवार को पटना के बामेती में बिहार राज्य में मत्स्य निर्यात, मूल्यवर्धन विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। वही इस कार्यक्रम में मौजूद मत्स्य विभाग के निदेशक निशात अहमद ने कहा कि उनका पहला लक्ष्य यह होगा कि आंध्र प्रदेश से आने वाली जो बर्फ की मछलियां हैँ उनके आवाक को रोका जाये। बिहार में मत्स्य पालन का कारोबार अच्छा और बड़ा रूप ले रहा है ऐसे में अब उसे रोकने की जरूरत है, ताकि बिहार के अलावा अन्य राज्य के लोगों को बिहार के किसानों की ताजी और अच्छी मछली खाने को मिल सके। वही इसके लिए बिहार में कोल्ड स्टोरेज सहित पूरे इंफ्रास्ट्रक्चर का काम जोर शोर से चल रहा है। एक आंकड़ा के अनुसार उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश से बिहार में 2 लाख टन मछली मंगाया जाता था, जो कि अब घटकर 40,000 टन पर आ गया है। उन्होंने आगे कहा कि बिहार के ताजी मछली का उत्पादन बढ़ने से दाम में भी कमी आएगी और इससे किसानो का मुनाफा दोगुनी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को मत्स्य पालन के लिए कई तरह के सब्सिडी की व्यवस्था कर रखी है। वही इस मौके पर कार्यक्रम में बिहार के अलावा कोलकाता सहित कई राज्यों से आये मत्स्य वैज्ञानिकों ने अपने विचार प्रकट किये।

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