BIHAR : IGIMS में सर्जिकल गस्ट्रो इंटरोलॉजी और लिवर प्रत्यारोपण वाह्य रोग का शुभारंभ

  • इलाज में आने वाले खर्च की राशि में दस लाख का अनुदान सरकार दे : मनीष मंडल

फुलवारी शरीफ। शनिवार को आईजीआईएमएस में सर्जिकल गस्ट्रो इंटरोलॉजी और लिवर प्रत्यारोपण विभाग द्वारा लीवर प्रत्यारोपण वाह्य रोग का शुभारंभ किया गया। संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि संस्थान में कई मरीज लिवर प्रत्यारोपण के लिए विभिन्न विभागों में मरीज भटकते रहते हैं। ऐसे मरीजों की तादाद दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
अप्रैल से अभी तक 5 लोग पंजीकृत
अगर बिहार के आंकड़े देखे तो दस मरीज पिछले वित्तीय वर्ष में लिवर प्रत्यारोपण के लिए पंजीकृत कराये गये, जो कि दूसरे लोग से ब्रिन डेथ मरीज से लीवर लेकर प्रत्यारोपण करना चाह रहे थे और इस साल अप्रैल से अभी तक 5 लोग पंजीकृत हुए हैं। अगर आईजीआईएमएस के आंकड़े देखें तो लगभग 100 से ज्यादा मरीजों को लिवर प्रत्यारोपण की जरूरत होती है पर जब उन्हें पता चलता है कि संस्थान में लगभग 10 लाख रुपए में तथा बिहार के बाहर लगभग 20 से 25 लाख रुपए में लिवर प्रत्यारोपण संभव हो पायेगा तो पैसे के आभाव में मरीज इलाज छोड़ देते हैं।
अब मरीजों को विभाग में भटकना नहीं पड़ेगा
डॉ. मंडल ने कहा कि ऐसे मरीजों को संस्थान के वाह्य रोग विभाग के कमरा नं.-24 में लिवर प्रत्यारोपण क्लीनिक द्वारा हर शनिवार को 10 से 12 बजे के बीच देखा जायेगा ताकि अन्य मरीजों को अलग-अलग विभाग में भटकना ना पड़े। इस स्पेशल वाह्य रोग विभाग में लिवर प्रत्यारोपण सर्जन हिपेटोलोजिस्ट के साथ प्रत्यारोपण कोर्डिनेटर भी मरीज की विस्तृत देखरेख के साथ उचित जांच व सलाह देंगे। इनके इलाज में प्रत्यारोपण कोर्डिनेटर मरीज को हरसंभव मदद जांच और इलाज के दौरान करेंगे तथा इनका कम्प्यूटर के माध्यम से डाटा तैयार करेंगे ताकि हर मरीज के हर जांच व इलाज की पूर्ण जानकारी का डेटा संस्थान में उपलब्ध रहे। ऐसे मरीज जब भी वाह्य रोग विभाग में दुबारा आयेंगे तो कम्प्यूटर के माध्यम से ही उनका सारा जांच व इलाज का ब्यौरा संबधित चिकित्सक कमरा नं.-24 के कम्प्यूटर में देखकर इलाज कर सकेंगे।
10 लाख रुपए अनुदान देने की व्यवस्था हो
डॉ. मंडल ने आगे बताया कि सरकार से आग्रह किया जायेगा कि लिवर प्रत्यारोपण में अन्य प्रत्यारोपण की तरह 10 लाख रुपए अनुदान देने की व्यवस्था की जाए ताकि ऐसे मरीज को लिवर प्रत्यारोपण कर जान बचाई जा सके तथा बिहार के बाहर मरीज को न जाना पड़े। इस मौके पर डॉ. संजय कुमार, डॉ. साकेत कुमार, डॉ. अमरजीत कुमार राज, डॉ. राकेश कुमार सिंह, डॉ. ओम प्रकाश, डॉ. मनीष साह समेत संस्थान के कई चिकित्सक मौजूद थे।

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