ई-वेस्ट पर प्रभावी नियंत्रण को ले केंद्र सरकार राशि उपलब्ध कराए : प्रो. रणबीर

पटना। जदयू प्रवक्ता और पूर्व एमएलसी प्रो. रणबीर नंदन ने इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट के मुद्दे पर केंद्र सरकार को पहल करने की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा कि बिहार में प्रति व्यक्ति करीब 100 से 200 ग्राम ई-कचरा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में बिहार में एक लाख टन से अधिक ई-कचरा निकल रहा है। पिछले नौ वर्षों में 500% ई-कचरा बढ़ने का अनुमान है। यानि बिहार में ई-कचरा लगातार बढ़ रहा है। इस खतरे को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही भांप लिया था और 2013 में ही उन्होंने ई-कचरे का आंकलन शुरू कराया। तब आई रिपोर्ट में बिहार के महज चार शहरों में 23 हजार टन से अधिक ई-कचरा फेंका जा रहा था।
डॉ. नंदन ने कहा कि उत्तर, दक्षिण, मध्य बिहार में 445 किलोमीटर में गंगा की धारा बहती है। ई-कचरे से गंगा भी प्रदूषित हो रही है। गंगा राष्ट्रीय धरोहर है। इसमें ई-कचरे न जाए, उसकी प्लानिंग हेतु केंद्र सरकार बिहार राज्य को राशि उपलब्ध कराए, जिससे पर्यावरण संतुलन बना रहे। डॉ. नंदन ने कहा कि जल जीवन हरियाली योजना के जरिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश में प्राकृतिक संसाधनों को विकसित करने की योजना बनाई है। प्रकृति के साथ ई-वेस्ट के जरिए खिलवाड़ नहीं होने दिया जा सकता है। बिहार में जितने प्रयास मुख्यमंत्री ने किए हैं, उसे मॉडल बनाते हुए पूरे देश के ई-कचरे के निस्तारण की योजना बनानी होगी। वर्ष 2016 में ई वेस्ट मैनेजमेंट पॉलिसी के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने मोबाइल कंपनियों के लिए लक्ष्य तय कर दिए थे। खतरनाक कचरे के संबंध में वर्ष 2016 में जो कानून बनाया गया। इसे पूरे देश में लागू करने के लिए केंद्र सरकार को पहल करनी होगी।
उन्होंने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक इस साल के अंत तक 1.25 लाख टन ई-वेस्ट का उत्सर्जन होना है। वर्तमान में कचरा संग्रह के लिए राज्य में 150 से अधिक कचरा संग्रह सेंटर बनाए गए हैं। इनमें इलेक्ट्रॉनिक कचरा इकट्ठा करने की जिम्मेदारी संबंधित कंपनियों को दी गयी है। ऐसे में इसके निस्तारण की प्रॉपर प्लानिंग केंद्र सरकार और इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों के स्तर पर करनी होगी।

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