गंगा दशहरा पर श्रद्धालुओं ने लगायी आस्था की डुबकी, निर्जला एकादशी शुक्रवार को

  • स्नान-दान व पूजा-पाठ की रही धूम

पटना। गंगा दशहरा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने गंगा नदी मेंआस्था की डुबकी लगायी। राजधानी के लगभग सभी घाटों पर महिलाएं, पुरुष व बच्चे अहले सुबह से गंगा स्नान को पहुंचने लगे थे। बच्चों में अलग ही उत्साह देखने को मिला। अपने माता-पिता के सानिध्य में गंगा स्नान, सूर्य को जलार्घ्य, गंगा पूजन के बाद अन्न, वस्त्र, ऋतुफल, द्रव्य, खाने-पीने की वस्तुएं, जनेऊ, सुपारी, सत्तू आदि का दान करने के बाद ही अन्न जल ग्रहण किया। कई जगहों पर बहुत धूमधाम से गंगा आरती का भी आयोजन किया गया था। उधर, बाढ़ में गंगा दशहरा के मौके पर उमानाथ मंदिर घाट पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई।


युग्म संयोग में मना गंगा दशहरा
आचार्य राकेश झा ने बताया कि गुरुवार को ज्येष्ठ शुक्ल दशमी में ग्रहों के युग्म संयोग में गंगा दशहरा का पुनीत पर्व मनाया गया। हस्त नक्षत्र, तैतिल करण के साथ सिद्धयोग एवं रवियोग का पुण्यकारी संयोग बना था। गंगा दशहरा को सुरसरिता मां गंगा पृथ्वी पर शुद्धता, पवित्रता व संपन्नता लेकर अवतरित हुई थी। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन गंगा स्नान करने से तीन कायिक, चार वाचिक व तीन मानसिक महापातक से मुक्ति मिलती है।
सिद्धयोग में निर्जला एकादशी शुक्रवार को
वर्ष भर के 24 एकादशियों में सबसे कठिन व पुण्यदायक निर्जला एकादशी का व्रत शुक्रवार को ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि में चित्रा नक्षत्र, वरीयान योग के साथ सिद्धयोग व रवियोग में मनाया जाएगा। एकादशी का व्रत करने वाले श्रद्धालु शुक्रवार को सूर्योदय से शनिवार की सूर्योदय तक बिना अन्न-जल के उपवास रखेंगे। श्रीहरि विष्णु की विधिवत पूजन कर उनकी आरती होगी। इस एकादशी को कर लेने मात्र से जातक को वर्ष भर के सभी एकादशी का पुण्य मिल जाता है। ज्येष्ठ मास में दिन बड़ा तथा प्रचंड गर्मी होने की वजह से इस एकादशी को सबसे कठिन एकादशी माना गया है।
जीवन-मरण के बंधन से मिलती है मुक्ति
वैदिक पंडित राकेश झा के मुताबिक निर्जला एकादशी के दिन निर्जल व्रत, जप-तप, दान-पुण्य करने से प्राणी भगवान नारायण का सानिध्य प्राप्त कर जीवन-मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष को पा जाता है। इस व्रत को करने से ब्रह्महत्या सहित समस्त पापों का शमन, मन-कर्म-वचन से किसी भी प्रकार का पाप कृत से वंचित, चारों पुरुषार्थ अर्थात धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है।

About Post Author

You may have missed