पटना में सोमवारी और नागपंचमी पर उमड़ी भक्तों की भीड़, मंदिरों में लगी लाइन

पटना। आज चारों तरफ नाग पंचमी का पर्व बहुत ही धूम-धाम से मनाया जा रहा है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक सावन माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का पर्व मनाते हैं। नागपंचमी के दिन भगवान शिव के प्रिय नाग को दूध और लावा चढ़ाने का परंपरा है। वहीं आज सावन की सातवां सोमवार है। ऐसे में हर जगह आज सुबह-सुबह शिव मंदिर जाकर भगवान भोलेनाथ के साथ साथ नाग देवता की भी पूजा अर्चना कर रहे है। सभी मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की बड़ी संख्या में भीड़ देखी जा रही है। पटना के प्रमुख स्थल बोरिंग रोड के शिव मंदिर में आज सुबह से ही श्रद्धालु भगवान शिव और नाग के पूजा अर्चना के लिए जुट रहे है। भक्त हाथों में गंगा जल और दूध लिए मंदिरों प्रांगण में कतार में खड़े है। पटना के मंदिर में अहले सुबह पंडितों द्वारा शिव की पूजा और उनके श्रृंगार के बाद भक्तों द्वारा शिवलिंग की पूजा शुरू की गई है। मंदिरों में बज रहे शंखनाद और ओम नमः शिवाय के जयघोष से पूरा मंदिर परिसर भक्ति में डूब गया है। ऐसे तो पूरा सावन महीना ही भगवान भोले के लिए खास माना जाता है। लेकिन, सावन का प्रत्येक सोमवार की महत्ता अधिक है। वही ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता माने गए हैं। नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा, व्रत रखने और कथा पढ़ने से व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है, भय दूर होता है, परिवार की रक्षा होती है और सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है। सर्प कई देवताओं से संबंधित है जैसे की भगवान विष्णु का सिंहासन शेषनाग है। वहीं भगवान शिव भी सर्पों की माला पहनते हैं। इसके साथ नागपंचमी की तैयारी कई दिनों पहले से लोगों के घर में शुरू हो जाती है। लोग अपने घरों की सफाई दिवाली के त्योहार जैसा करते है। नागपंचमी को पूजा अर्चना करने का शुभ मुहूर्त सुबह से लेकर शाम के 4 बजे तक का है। नागपंचमी का मतलब है कि भगवान शिव की जो पुत्री थी। मनसा देवी उन्हीं का पूजा होता है। नागों को भगवान शंकर का सबसे प्रिय माना गया हैं, इसलिए उनके साथ-साथ नाग देवता को भी दूध चढ़ाया जाता है। आज के दिन नागों का विधि विधान से दूध लावा चढ़कर पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

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