February 16, 2025

छपरा के वकील पिता-पुत्र की हत्या के विरोध में मसौढ़ी में अधिवक्ताओं का प्रदर्शन, त्वरित न्याय की मांग को लेकर लगाये नारें

मसौढ़ी। राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी में सिविल कोर्ट के सभी अधिवक्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया है। बुधवार को छपरा में दो अधिवक्ताओं, राम अयोध्या राय और उनके पुत्र सुनील कुमार की निर्मम हत्या के बाद सभी अधिवक्ताओं में आक्रोश व्याप्त है। शुक्रवार को मसौढ़ी सिविल कोर्ट के अधिवक्ताओं ने नारेबाजी करते हुए हत्यारों को फांसी देने की मांग की। इसके साथ ही मृतक के परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा और एक सरकारी नौकरी देने की भी मांग की गई। अधिवक्ता संघ मसौढ़ी के महासचिव राकेश कुमार ने कहा कि छपरा में जिस तरह से अधिवक्ताओं की निर्मम हत्या हुई है, यह सरकार की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। शुक्रवार को सभी अधिवक्ताओं ने दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए शोक सभा का आयोजन किया। साथ ही, सरकार के खिलाफ विरोध जताते हुए जल्द ही अधिवक्ता सुरक्षा बिल पास करने की मांग की, ताकि न्याय के लिए लड़ने वाले अधिवक्ताओं को सुरक्षा मिल सके। छपरा में पिता-पुत्र अधिवक्ताओं की हत्या ने सुरक्षा व्यवस्था और कानून पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अधिवक्ताओं ने कई बार सरकार से अधिवक्ता सुरक्षा कानून बनाने की मांग की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं तो प्रदेशव्यापी आंदोलन होगा। दो दिन पहले छपरा में कोर्ट जाने के दौरान अधिवक्ताओं की हत्या कर दी गई। मृतक राम अयोध्या प्रसाद यादव और उनके पुत्र सुनील कुमार राय अपने घर मेथवालिया से छपरा कचहरी के लिए निकले थे। दूधिया पुल के पास अपराधियों ने उन पर गोलीबारी कर दी, जिससे वे बाइक से गिर गए और घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई। अधिवक्ताओं का कहना है कि यह घटना कानून व्यवस्था की गंभीर चूक है और इसके लिए सरकार को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। मसौढ़ी सिविल कोर्ट के अधिवक्ताओं ने एकजुट होकर इस हत्या के खिलाफ आवाज उठाई है और त्वरित न्याय की मांग की है। उनकी मांग है कि सरकार अधिवक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे और दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाए। शोक सभा के दौरान अधिवक्ताओं ने दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की और उनके परिवार को न्याय दिलाने का संकल्प लिया। अधिवक्ताओं ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, वे विरोध जारी रखेंगे और सरकार पर दबाव बनाएंगे कि वह अधिवक्ता सुरक्षा कानून को जल्द से जल्द लागू करे। इस घटना ने पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी है और अधिवक्ताओं के सुरक्षा के मुद्दे को फिर से उजागर कर दिया है। अब देखना यह है कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और अधिवक्ताओं की मांगों को कैसे पूरा करती है।

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