महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर अररिया में राहुल गांधी ने फोटो पर पुष्प किया अर्पित, दी भावभीनी श्रद्धांजलि

  • पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष बोले- बापू ने हमें प्रेम के साथ जीना और सच के लिए लड़ना सिखाया

अररिया। वर्ष 1948 को आज ही के दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की नाथूराम गोडसे ने हत्या कर दी थी। महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार के अररिया में महात्मा गांधी के फोटो पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि दी। राहुल गांधी ने बापू की पुण्यतिथि पर कहा कि बापू ने पूरे देश को प्रेम के साथ जीना और सच के लिए लड़ना सिखाया। हम आज वही कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि आज ही के दिन नफ़रत और हिंसा की विचारधारा ने देश से उनके पूज्य बापू को छीना था। और आज वही सोच उनके सिद्धांतों और आदर्शों को भी हमसे छीन लेना चाहती है। पर नफ़रत की इस आंधी में, सत्य और सद्भाव की लौ को बुझने नहीं देना है। यही गांधी जी को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
बापू का बिहार से गहरा संबंध था
बापू का पटना से गहरा संबंध रहा है। वह पहली बार वर्ष 1917 में पटना आये थे। गांधी जी कोलकाता से रेलगाड़ी के तृतीय श्रेणी में चल कर 10 अप्रैल 1917 की सुबह पहुंचे। उस वक्त का बांकीपुर जंक्शन आज पटना जंक्शन कहा जाता है। यह पहला मौका था, जब बिहार की धरती पर उन्होंने कदम रखा था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आज पुण्यतिथि है। पटना में बापू की यादों को गांधी संग्रहालय में संयोग कर रखा गया है, वहीं बापू से जुड़ीं ऐसी जगहें भी हैं, जो बदहाली की कहानी कह रही है। एएन सिन्हा सामाजिक शोध संस्थान का परिसर स्वतंत्रता संग्राम की महान विरासत का हिस्सा रहा है। परिसर के पश्चिमी हिस्से में स्थित गांधी शिविर, जहां महात्मा गांधी 40 दिनों तक रुके थे। वह भवन आज गोदाम के रूप में है। भवन के दरवाजे बंद हैं। गांधी शिविर यानी बिहार सरकार के तत्कालीन मंत्री डॉ सैयद महमूद के घर के बगल के आउट हाउस में स्थित शोध संस्थान के निदेशक का आवास और प्रशासनिक भवन में रंग-रोगन का काम चल रहा है। वहीं उसके ठीक सामने एक भव्य भवन बनकर तैयार है। 30 जनवरी को महात्मा गांधी जी की शहादत दिवस को लेकर तैयारी चल रही है, लेकिन जहां गांधी जी 40 दिनों तक रुके, वहीं विरानगी छायी हुई है। जर्जर गांधी शिविर भवन के जीर्णोद्धार में लाखों खर्च हुए। जीर्णोद्धार का काम भवन निर्माण निगम के माध्यम से हुआ था। पटना रेलवे जंक्शन से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर गंगा के दक्षिणी तट पर स्थित है।
गांधी शिविर के नाम से है प्रसिद्ध
गांधी शिविर के नाम से प्रसिद्ध एक मंजिला एनेक्सी भवन में चार कमरे हैं। आगे-पीछे बरामदा औररसोइघरहै पीछे एक चबूतराहै, जिस पवित्र चबूतरे पर गांधी जी बैठते और कार्यकर्ताओं से भेंट किया करते थे। आज इसकी हालात काफी खराब है। पड़े की टहिनयां बिखरी हुई है। चारों ओर गंदगी है। शिविर के कमरों में ताले जड़ेहुए हैं। शाम होते ही शिविर का भवन कूप अंधेरे में डूब जाता है। प्रकाश का कोई प्रबंध नहीं है।
महात्मा गांधी का बिहार से आत्मीय संबंध रहा है
महात्मा गांधी का बिहार से आत्मीय संबंध रहा है। बिहार की पहली यात्रा 10 अप्रैल 1917 को की थी। तब सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए चंपारण जाते समय पटना आये थे। बापू ने जीवन का अहम वक्त शोध संस्थान के परिसर स्थित आउटहाउस (गांधी शांति शिविर भवन) में गुजारा था। तब यह भवन डॉ सैयद महमूद का निवास था। उनके बुलावे पर पांच मार्च 1947 को नर्मिल बोस, मनु गांधी, सैयाद अहमद, देव प्रकाश नायर, सैयद मुज्तबा के साथ यहां पहुंचे थे। भवन में रहते हुए ही गांधी के बुलावे पर सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खान आठ मार्च 1947 को यहां आये थे। लार्ड माउंट बैटन के बुलावे पर 15 दिनों के लिए दिल्ली गये पर 14 अप्रैल 1947 को लौट आए। फिर से शांति स्थापना कार्य के लिए 40 दिन यहां रहे। 24 मई 1947 को दिल्ली चले गये।

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