CM नीतीश पर हमलावर हुई कांग्रेस, बोली- सुशासन बाबू की सरकार गिरफ्तारी-गिरफ्तारी का खेल खेल रही

पटना। बिहार कांग्रेस कमिटी की प्रवक्ता अमिता भूषण ने कहा है कि कोई भी लोक कल्याणकारी सरकार लोकहित की प्राथमिकताओं से चलती है। बिहार सरकार की अपनी प्राथमिकताएं है, पर हमेशा की तरह थोड़ी अलग, जिसका लोक कल्याण से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं। ऐसे दौर में जब इंसान एक-एक सांसों का मोहताज है, अस्पताल पटे पड़े हैं, मां गंगा की लहरें लाशों को ठिकाने लगाने का जरिया बना हुआ है। ऐसी परिस्थिति में कथित सुशासन बाबू की सरकार इन विपरीत परिस्थितियों से निपटने के उपाय की जगह गिरफ्तारी-गिरफ्तारी का खेल खेल रही है। तत्काल इस खेल के केंद्र बिंदु पूर्व सांसद पप्पू यादव बने हुए हैं। खेल ऐसा की जहां खेलने वाली दोनों ही टीमें विजेता है और हार दर्शक रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार जहां अपनी नाकामी छुपाने और उस पर पर्दा डालने में सफल होती दिख रही है। वहीं पूर्व सांसद हर बार की भांति अपने स्टाइल की राजनीति को स्थापित करते हुए एकमात्र मसीहा के रूप में खुद को साबित करने में सफल हो रहे हैं। बस बिहार की जनता इन तमाम नौटंकियों के बीच बेड, आक्सीजन, दवाइयों और चिकित्सकों की कमी से अकेले जूझने को मजबूर है। सरकार कह रही है कि कानून के दायरे में ये गिरफ्तारी हुई है। पर सवाल यह है कि जिस मुकदमे का हवाला देकर इन्हें गिरफ्तार किया गया है, वो मामला 32 साल पुराना है। फिर ये सरकार पिछले 17 सालों से कहां थी।
उन्होंने कहा कि जिस रूडी साहब ने अपने घर को महामारी में एम्बुलेंस छुपाने का शेल्टर बना रखा है, उन पर महामारी एक्ट के अनुसार त्वरित कार्रवाई और गिरफ्तारी क्यों नही हुआ। एक तरफ जहां अदालतें पुलिस को बिना किसी गंभीरतम अपराध के गिरफ्तारी से परहेज का आदेश दे रही है, वहां क्या पप्पू यादव का अपराध उस गंभीरतम की सीमा से भी ऊपर है। बात घूम-फिर कर प्राथमिकताओं पर ही आती है।
सरकार को पता है कि नए भारत में लोक कल्याण से वोटों की फसल नहीं उगती, इसलिये उसने अपनी प्राथमिकताएं बदल दी है। सरकार अब घाव भरने के लिए नहीं, घाव छुपाने के लिए चलाई जा रही है और पिछले 15 सालों में नीतीश जी ने भाजपा के सानिध्य में छुपाने की इस कला का भरपूर विकास किया है। गिरफ्तारी का यह प्रकरण इस कला का बेहतरीन उदाहरण है।
