जेठुली उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय का हाल : पैर पर अंसर शीट रखकर बच्चे दे रहे परीक्षा, शिक्षकों के बैठने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं

फतुहा (संजय भूषण)। सरकारी विद्यालयों में वहां पढने वाले छात्र व छात्राओं को किस कदर सुविधाएं दी जा रही है, इसका नजारा बीते सोमवार को जेठुली स्थित उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय में देखने को मिली है। जहां एक ओर सरकार निजी विद्यालय की तरह सरकारी विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को सुविधा देने की बात कहती है, वहीं सरकारी उदासिनता के कारण ही मात्र दो कमरे के विद्यालय में सैकड़ों छात्र बिना संसाधन के पढ़ने को मजबूर हैं।


जेठुली उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय की भवन मात्र दो कमरे की है। एक कमरे में विद्यालय का कार्यालय सह रसोई भंडार कक्ष संचालित है तो दूसरा कमरा स्मार्ट क्लास के रुप में तब्दील है। इस स्थिति में कक्षा बरामदे में तथा किचेन शेड में चलाई जाती है। स्कूल के पास न पर्याप्त जगह है, न तो खेल का मैदान है और न ही छात्राओं के लिए कॉमन रुम। प्रयोगशाला भी नहीं है। विद्यार्थियों के बैठने के लिए मात्र 150 विद्यार्थियों के लिए बेंच उपलब्ध है। जबकि इस विद्यालय में कुल 1,655 विद्यार्थी नामांकित है। इसमें वर्ग प्रथम से लेकर वर्ग पांच तक 638 बच्चे तथा वर्ग छह से वर्ग दशम तक 1,017 बच्चे शामिल हैं। छात्रों की संख्या को देखते हुए स्कूल दो शिफ्ट में चलायी जाती है।
इस स्थिति में हालत यह है कि बच्चे अपनी वार्षिक परीक्षा पैर पर अंसर शीट रखकर दे रहे हैं। एक बेंच पर पांच विद्यार्थी बैठकर कदाचार मुक्त परीक्षा देने को मजबूर हैं। किचेन शेड में भी बच्चे परीक्षा दे रहें हैं। इस स्कूल में 19 शिक्षक बहाल हैं, जिन्हें बैठने के लिए भी पर्याप्त जगह व संसाधन उपलब्ध नही हैं। और तो और इस विद्यालय को 10+2 में भी प्रोन्नत कर दिया गया है। यह स्कूल एक तल्ले भवन की है। छत से सटे विद्युत तार का मकड़जाल इस तरह फैला है कि नीचे बैठे छात्र कब किसी अनहोनी का शिकार हो जाए, कहना मुश्किल है। जब इस संदर्भ में स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक आलोक कृष्ण से पुछा गया तो बताया कि कई बार प्रखंड से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारियों को लिखित सूचना दी जा चुकी है, लेकिन स्कूल के विकास पर कोई ध्यान नही दिया जाता है।

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