डेयरी पशु प्रबंधन पर प्रशिक्षण का समापन, प्रशिक्षणार्थियों को दिया गया प्रमाण पत्र

पटना(अजीत)। वैशाल पाटलिपुत्र दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ,पटना द्वारा प्रायोजित और प्रसार शिक्षा विभाग, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना द्वारा आयोजित डेयरी पशु प्रबंधन पर 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन शुक्रवार को बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के प्रांगण में हुआ। वही इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में डेयरी पशु प्रबंधन से संबंधित लगभग सभी महत्वपूर्ण विषयों और व्यावहारिक पहलुओं को शामिल किया गया था। वही समारोह के अंत में प्रशिक्षणार्थियों को अतिथियों द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। प्रशिक्षण का समन्वय डॉ। वाई.एस. जादौन, डॉ. गार्गी महापात्रा और सुश्री सर्वजीत कौर ने किया। वही इस 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के श्रृंखला का यह दूसरा प्रशिक्षण सत्र था। जिसमें राज्य के विभिन्न जिलों से आये 47 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया। पशुपालकों को पशुपालन के बेहतर और उन्नत तकनीक अपनाकर आर्थिक उन्नति प्रदान करने के उद्देश्य से आयोजित इस प्रशिक्षण श्रृंखला में पशुपालकों को गाय-भैंस की उन्नत नस्लों की पहचान, उनका क्रय, संतुलित पशु आहार देना, खनिज मिश्रण का चारे में उपलब्धता, हरे चारे का समुचित उपयोग, प्रजनन और बिमारियों के लक्षण, टीकाकरण इत्यादि की जानकारी कृमिनाशक दवाओं को देने का अंतराल, सहकारिता के क्रियाकलाप और स्वच्छ दुग्ध उत्पादन जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। वही इस कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. वाई.एस. जादौन ने सभी अतिथि एवं प्रशिक्षणार्थियों का स्वागत किया तथा 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की जानकारी दी। साथ ही उन्होंने बताया की इस प्रशिक्षण श्रृंखला से जुड़े सभी प्रशिक्षणार्थियों के लिए एक व्हाट्स-एप्प ग्रुप बनायीं गयी है। जिसमें विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को भी जोड़ा गया है। वही इस ग्रुप के माध्यम से किसान-पशुपालक पशुधन विकास, पशुओं के खान-पान, बीमारियों में देखरेख, और डेयरी प्रबंधन जैसी तमाम जानकारियां समय-समय पर प्राप्त कर सकेंगे। वही इस समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कम्फेड के महाप्रबंधक आर।के। मिश्रा ने कहा की प्रशिक्षणार्थी प्रशिक्षण में प्राप्त ज्ञान और कौशल को अपने आस-पास के लोगों के साथ साझा करे तथा उन्हें भी प्रशिक्षण दे ताकि यह क्षेत्र प्रगति करें और ज्यादा से ज्यादा लोग स्वावलंबी बन अपना जीविकोपार्जन कर सके। उन्होंने आगे कहा की दुग्ध उत्पादन में लागत को कम कर उत्पादन बढ़ाने में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, जिसके लिए हरे चारे का उपयोग अधिक से अधिक किया जाना चाहिए।

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