10 जुलाई से शुरू होगा चातुर्मास, शिव परिवार संभालेंगे सृष्टि का संचालन
पटना। आषाढ़ शुक्ल एकादशी 10 जुलाई (रविवार) को भगवान विष्णु चार मास के लिए शयन हेतु क्षीर सागर में चले जाएंगे। श्रीहरि के शयन में जाने के कारण इस एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा गया है, फिर 4 नवंबर को कार्तिक शुक्ल देवोत्थान एकादशी की पावन तिथि में श्रीहरि निंद्रा से जागृत होंगे। इस चार मास के अंतराल को ही चातुर्मास की संज्ञा दी गई है। रविवार को श्रद्धालु भगवान नारायण की विधिवत पूजित कर उनको शयन करा दिया जाएग। इस चातुर्मास के दौरान हिन्दू धर्मावलंबियों के सभी शुभ कार्य बंद रहेंगे। साधु-संत, सन्यासी इस दौरान एक जगह अपना आसन जमाकर भजन-कीर्तन, भगवत गुणगान, कथा-प्रवचन आदि धार्मिक कृत्य करेंगे।
चातुर्मास में शिव-परिवार द्वारा सृष्टि संचालन
आचार्य राकेश झा ने बताया कि सृष्टि का संचालन का कार्यभार भगवान विष्णु के हाथ में रहता है, लेकिन उनके शयनकाल में चले जाने के कारण सृष्टि संचालन की जिम्मेदारी भगवान शिव एवं उनके परिवार पर आ जाता है, इसीलिए चातुर्मास के दौरान शिव और उनके परिवार से जुड़े पर्व-त्योहार मनाये जाते हैं। श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित रहता है। श्रद्धालु शिव को जलार्पण कर बेलपत्र पर राम नाम अंकित कर चढ़ाते हैं। इसके बाद भाद्र पद मास में हरितालिका तीज में शिव-पार्वती की पूजा होती है। उसके बाद दस दिनों तक गणपति का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इनकी आराधना विशेषकर गुजरात और महाराष्ट्र में वृहत पैमाने पर होती है, फिर आश्विन मास में भगवती दुर्गा की पूजा शारदीय नवरात्र में होती है।
योगनिद्रा के आगोश में नारायण
पंडित झा ने कहा कि ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार योगनिद्रा ने कठिन तपस्या कर भगवान विष्णु को प्रसन्न करके उनसे प्रार्थना की ‘प्रभु आप मुझे अपने अंगों में स्थान प्रदान करें’। योगनिद्रा की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान नारायण ने अपनी नेत्रों में उसको स्थान दिया और कहा कि तुम मेरी वर्ष में चार मास के लिए मेरी नेत्रों में निवास करोगी, तब से चार मास के लिए श्री विष्णु शयन हेतु क्षीर सागर में चले जाते हैं। इन चार मास में ब्रह्मचर्य का पालन, व्यसन का त्याग, मौन, जाप, ध्यान , दान-पुण्य, स्नान-व्रत आदि विशेष फलदायी होता है।
13 को गुरु पूर्णिमा, 14 से सावन
ज्योतिषी राकेश झा के मुताबिक आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा 13 जुलाई को ऐंद्र योग में गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन गुरु को देव तुल्य मानकर उनकी पूजा की जाएगी। महर्षि वेदव्यास का स्मरण कर उनको याद करेंगे। इसके अगले दिन 14 जुलाई से ही शिव के प्रिय सावन मास शुरू होगा। श्रद्धालु भोले की आराधना में लीन हो जायेंगे। रुद्राभिषेक, पार्थिव पूजन, शिव श्रृंगार, महामृत्युंजय जाप आदि कल्याणकारी अनुष्ठान करेंगे। इस बार सावन में चार सोमवार होगा, जिसमे दो जुलाई तथा दो अगस्त में होंगे।