December 31, 2025

उत्तराखंड में एसआईआर के साथ होगी जनगणना, 2026 में शुरू होगा घर-घर में सर्वे का काम

देहरादून। हिमालयी राज्य उत्तराखंड में एक बार फिर जनगणना की प्रक्रिया को लेकर प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस बार यह जनगणना वोटर लिस्ट के विशेष पुनरीक्षण यानी एसआईआर के साथ की जाएगी, जिससे आंकड़ों की प्रमाणिकता और अद्यतन स्थिति सुनिश्चित की जा सके। राज्य सरकार और केंद्र सरकार के निर्देशों के तहत वर्ष 2026 से घर-घर सर्वे का काम विधिवत रूप से शुरू होगा। इसे लेकर शासन-प्रशासन पूरी तरह सक्रिय हो गया है।
जनगणना अधिकारियों की नियुक्ति
उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने जनगणना कार्य को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए 19 विभिन्न श्रेणियों में जनगणना अधिकारियों की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए हैं। ये नियुक्तियां मंडल, जिला, ब्लॉक और तहसील स्तर पर की जा रही हैं। मंडल स्तर पर संपूर्ण क्षेत्र के नोडल अधिकारी संबंधित मंडल के कमिश्नर होंगे। वहीं जिलों में नगर निगम क्षेत्रों को छोड़कर शेष पूरे जिले के प्रमुख जनगणना अधिकारी संबंधित जिले के जिलाधिकारी होंगे। इस संरचना का उद्देश्य यह है कि जनगणना का कार्य प्रशासनिक रूप से मजबूत और जवाबदेह व्यवस्था के तहत पूरा किया जा सके।
केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश
केंद्र सरकार की ओर से जनगणना को लेकर कार्यक्रम और दिशा-निर्देश पहले ही जारी कर दिए गए हैं। इसके तहत राज्य सरकारों को समयबद्ध तरीके से तैयारियां पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। उत्तराखंड में भी इन निर्देशों के अनुरूप अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रशिक्षण की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। सचिव-जनगणना दीपक कुमार ने बताया कि जनगणना की अधिसूचना जल्द ही जारी की जाएगी और उसके बाद प्रशिक्षण कार्यक्रमों को औपचारिक रूप से शुरू किया जाएगा।
मकानों की गणना का चरण
जनगणना की प्रक्रिया दो चरणों में पूरी की जाएगी। पहले चरण में मकानों की गणना की जाएगी। इसके लिए अगले वर्ष यानी 2026 में अप्रैल से सितंबर के बीच किसी एक महीने को चुना जाएगा, जिसमें 30 दिनों तक प्रदेश भर में सघन अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान हर घर, हर भवन और हर आवासीय इकाई का विवरण दर्ज किया जाएगा। उत्तराखंड समेत सभी पर्वतीय राज्यों को इस चरण के लिए एक महीने का अतिरिक्त समय दिया गया है, ताकि भौगोलिक कठिनाइयों के बावजूद कार्य सही ढंग से पूरा हो सके।
आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल
इस बार जनगणना पूरी तरह आधुनिक तकनीक पर आधारित होगी। मकानों और जनसंख्या से जुड़ा पूरा डेटा केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए विशेष सॉफ्टवेयर पर दर्ज किया जाएगा। मोबाइल टैबलेट और अन्य डिजिटल उपकरणों की मदद से जानकारी एकत्र की जाएगी, जिससे मानवीय त्रुटियों की संभावना कम होगी और डेटा जल्दी उपलब्ध हो सकेगा। डिजिटल माध्यम से संग्रहित आंकड़ों का विश्लेषण भी अधिक सटीक तरीके से किया जा सकेगा।
फरवरी 2027 में मुख्य जनगणना
मकानों की गणना के बाद दूसरा चरण फरवरी 2027 में शुरू होगा। इस चरण में किसी भी दस दिनों की अवधि तय कर वास्तविक जनगणना कराई जाएगी। इसमें पहले चरण में की गई मकानों की गणना का सत्यापन भी शामिल होगा। साथ ही इस अवधि में जो नए भवन बने होंगे या जो पहले चरण में छूट गए होंगे, उन्हें भी जनगणना में शामिल किया जाएगा। इसके बाद केंद्र सरकार के स्तर पर अंतिम कार्यक्रम जारी होने के साथ राष्ट्रीय स्तर पर जनगणना अभियान शुरू कर दिया जाएगा।
रिहर्सल और पायलट सर्वे
जनगणना की विधिवत शुरुआत से पहले हर स्तर पर रिहर्सल की जा रही है। सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड में चकराता क्षेत्र के 22 गांवों में मकानों का सर्वेक्षण कर गणना पहले ही की जा चुकी है। वहीं मैदानी जिलों में हरिद्वार को पायलट क्षेत्र के रूप में चुना गया था। हरिद्वार नगर निगम के एक वार्ड में मकानों का पूरा ब्योरा तैयार कर लिया गया है। इन अभ्यासों का उद्देश्य यह है कि वास्तविक जनगणना के दौरान किसी तरह की तकनीकी या प्रशासनिक परेशानी न आए।
जनसंख्या के आंकड़ों की आवश्यकता
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार उत्तराखंड की कुल जनसंख्या लगभग 1.01 करोड़ आंकी गई थी। बीते 14 वर्षों में राज्य में जनसंख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, लेकिन विकास योजनाओं, पेंशन, सब्सिडी और अन्य कल्याणकारी कार्यक्रमों का आकलन अब भी पुराने आंकड़ों के आधार पर किया जा रहा है। नई जनगणना से राज्य को अद्यतन और प्रमाणिक आंकड़े मिलेंगे, जिससे योजनाओं का आकार और लक्ष्य अधिक प्रभावी ढंग से तय किया जा सकेगा।
शहरीकरण और बदलता स्वरूप
वर्ष 2011 की जनगणना के दौरान उत्तराखंड में कुल परिवार-घरों की संख्या लगभग 19 से 20 लाख दर्ज की गई थी। हालिया वर्षों में राज्य में शहरीकरण की रफ्तार काफी तेज हुई है। देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी और रुड़की जैसे शहरों में आबादी तेजी से बढ़ी है। नई जनगणना से यह स्पष्ट होगा कि ग्रामीण और शहरी जनसंख्या का अनुपात किस दिशा में जा रहा है और इसके अनुरूप भविष्य की नीतियां कैसे बनाई जाएं। उत्तराखंड में प्रस्तावित जनगणना केवल आंकड़ों का संग्रह नहीं, बल्कि राज्य के भविष्य की योजना बनाने का आधार बनेगी। एसआईआर के साथ होने वाली यह प्रक्रिया जनसांख्यिकीय स्थिति को और अधिक स्पष्ट करेगी। आधुनिक तकनीक, व्यापक प्रशिक्षण और चरणबद्ध कार्ययोजना के माध्यम से सरकार इस बार जनगणना को अधिक सटीक और भरोसेमंद बनाने की कोशिश कर रही है। प्रमाणिक जनसंख्या आंकड़े सामने आने के बाद उत्तराखंड में विकास योजनाओं को नई दिशा और गति मिलने की उम्मीद है।

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