राज्य में आज से शुरू होगा जातीय सह आर्थिक जनगणना का कार्य, 21 जनवरी तक चलेगा पहला चरण

  • पहले चरण में केवल मकान और परिवारों की होगी गिनती, परियोजना में खर्च होंगे 500 करोड़ रुपए
  • 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक के दूसरे चरण में लिखा जायेगा जाति और व्यवसाय

पटना। बिहार में आज से जाति और आर्थिक गणना शुरू हो रही है। पहले चरण में मकान की गिनती होगी। दूसरे चरण में जाति और आर्थिक गणना होगी। इसके लिए सरकार ने कर्मचारियों की ट्रेनिंग कराई गई है। पहला चरण 7 जनवरी से 21 जनवरी तक चलेगा। दूसरा चरण 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक चलेगा। इस जाति आधारित गणना के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। ये आंकड़ा बढ़ भी सकता है। यह राशि बिहार आकस्मिकता निधि से दिया जाएगा।
जानिए आखिर कैसे होगी मकान की गणना
राज्य सरकार के स्तर पर अभी मकानों की कोई नंबरिंग नहीं की गई है। वोटर आईकार्ड में अलग, नगर निगम के होल्डिंग में अलग नंबर है। पंचायत स्तर पर मकानों की कोई नंबरिंग ही नहीं है। शहरी क्षेत्र में कुछ मोहल्लों में मकानों की नंबरिंग है भी तो वह हाउसिंग सोसायटी की ओर से दी गई है, न कि सरकार की ओर से। अब सरकारी स्तर पर दिया गया नंबर ही सभी मकानों का स्थायी नंबर होगा जो पेन मार्कर या लाल रंग से लिखा जाएगा। इसे 2 मीटर की दूरी से पढ़ा जा सकेगा। पहले चरण में यदि कोई मकान नंबरिंग में छूट जाता है या कोई नया मकान बन जाता है तो उसका नंबर बगल के नंबर के साथ ABCD या ऑब्लिक 123 आदि जोड़ कर किया जाएगा। पहले चरण में बिहार जाति आधारित गणना में 4 भाग में फॉर्म को भरा जाएगा। पहले में जिला का नाम और उसका कोड दिया गया है। फिर प्रखंड, नगर निकाय का नाम और उसका कोड दिया गया है। पंचायत का नाम और उसका कोड है। वार्ड संख्या उसका कोड है और गणना ब्लॉक नंबर और उप-ब्लॉक नंबर को भरना अनिवार्य है। इसके बाद जिनके स्थायी आवास है। उस मकान सूची के लिए 10 कैटेगरी में सवाल पूछे जाएंगे। भवन संख्या, मकान संख्या, जिस उद्देश्य के लिए मकान का उपयोग किया जा रहा है, परिवार की संख्या, परिवार के मुखिया का नाम, परिवार में कुल सदस्यों की संख्या, परिवार का क्रम संख्या, यदि वह सदस्य नहीं है तो वह कब से यहां नहीं है, परिवार के मुखिया का हस्ताक्षर भरा जाएगा। वहीं, बेघर मकान का विवरण भी भरा जाएगा। भाग 4 में मकान सूची का कार्य पूरा होने के बाद फीडबैक रिपोर्ट भरा जाएगा।
दूसरे चरण में आर्थिक और जाति पूछी जाएगी
दूसरे चरण में बिहार सरकार जाति और आर्थिक दोनों सवाल करेगी। इसमें शिक्षा का स्तर, नौकरी (प्राइवेट, सरकारी, गजटेड, नन-गजटेड आदि) गाड़ी (कैटगरी), मोबाइल, किसी काम में दक्षता, आय के अन्य साधन, परिवार में कितने कमाने वाले सदस्य, एक व्यक्ति पर कितने आश्रित, मूल जाति, उप जाति, उप की उपजाति, गांव में जातियों की संख्या, जाति प्रमाण पत्र आदि की जानकारी हासिल की जाएगी। ये जानकारी 25 से 30 की संख्या में होगी। इस दौरान किसी ने बताने में आना-कानी की तो तो पड़ोसी से उनके बारे में जानकारी ली जाएगी। जाति को लेकर किसी भी तरह से कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।
500 करोड़ से अधिक का खर्च अनुमानित
जाति आधारित गणना कराने की जिम्मेदारी सामान्य प्रशासन विभाग को दी गई है। जिला स्तर पर जिला पदाधिकारी यानी डीएम इसके नोडल पदाधिकारी होंगे। सामान्य प्रशासन विभाग और जिला पदाधिकारी ग्राम स्तर, पंचायत स्तर और उच्च स्तर पर विभिन्न विभागों के अधीनस्थ कार्य करने वाले कर्मचारियों की सेवाएं इस कार्य में ले सकते हैं। जाति आधारित गणना के दौरान आर्थिक स्थिति के सर्वेक्षण भी कराया जा रहा है। इसके लिए 500 करोड़ के खर्च का अनुमान है। ये बढ़ भी सकता है। जाति आधारित के समय-समय पर विधानसभा के विभिन्न दलों के नेताओं को अवगत कराया जाएगा।

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