December 10, 2025

आईजीआईएमएस अस्पताल में दलाल गिरफ्तार: बेड दिलाने के नाम पर करता था ठगी, पुलिस ने रंगेहाथों पकड़ा

पटना। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) में बुधवार को एक बड़ा खुलासा हुआ, जब पुलिस ने एक ऐसे दलाल को रंगेहाथों पकड़ा, जो मरीजों को बेड दिलाने और निजी अस्पतालों में भेजने के नाम पर ठगी करता था। इस गिरफ्तारी ने अस्पताल प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लंबे समय से चल रही यह गतिविधि न केवल मरीजों और उनके परिजनों के साथ धोखाधड़ी थी, बल्कि अस्पताल की छवि को भी धूमिल करने वाली थी।
दलाल की पहचान और गिरफ्तारी
पुलिस ने जिस दलाल को पकड़ा, उसकी पहचान मनोज कुमार शाही, उम्र 50 वर्ष, के रूप में हुई है। मनोज मुजफ्फरपुर जिले के मोतीपुर का निवासी है। उसे आईजीआईएमएस के इमरजेंसी वार्ड से गिरफ्तार किया गया। वह विकलांग है, इसी कारण अस्पताल कर्मचारी और मरीजों के परिजन उस पर आसानी से संदेह नहीं कर पाते थे। इसी कमजोरी का वह बड़े चतुराई से फायदा उठा रहा था।
कैसे चलता था ठगी का खेल
मनोज का काम मरीजों के परिजनों को बहला-फुसलाकर उनसे पैसे वसूलना था। वह अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में घूमता रहता और बेड दिलाने का झांसा देता। जिन मरीजों को तत्काल उपचार की जरूरत होती, उनके परिजनों को वह यह विश्वास दिलाता कि अस्पताल के भीतर उसकी पकड़ है और वह बेड दिलवा सकता है। इसके बदले वह मोटी रकम की मांग करता था। यही नहीं, वह मरीजों को विभिन्न निजी अस्पतालों में भेजकर भी कमीशन कमाता था।
पुलिस जांच में सामने आए नए तथ्य
पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि मनोज अकेला नहीं था। उसने पूछताछ में बताया कि आईजीआईएमएस का एक सुरक्षाकर्मी भी इस गिरोह का हिस्सा था। दोनों मिलकर मरीजों की परेशानी का फायदा उठाते थे। यह सुरक्षाकर्मी मनोज का अस्पताल में प्रवेश आसान बनाता था और उसे इमरजेंसी वार्ड में सक्रिय रहने देता था। इसके बदले वह भी कमीशन लेता था।
मरीजों को भेजे जाने वाले निजी अस्पताल
मनोज जिन निजी अस्पतालों में मरीजों को भेजता था, उनमें बोरिंग रोड, दीघा आशियाना, बेली रोड, राजाबाजार और पाटलिपुत्र स्थित कई अस्पताल शामिल हैं। इन अस्पतालों में उसे कमीशन मिलता था। जब कोई मरीज गंभीर स्थिति में होता और उसके परिवारजन घबराए रहते, मनोज मौके का फायदा उठाता और कहता कि आईजीआईएमएस में बेड मिलना मुश्किल है, इसलिए वह बेहतर सुविधा वाले निजी अस्पताल में तुरंत भर्ती करा सकता है। इससे अनजान परिजन उसके जाल में फंस जाते।
सीसीटीवी और शिकायतों से खुली पोल
आईजीआईएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि कई दिनों से मरीजों के परिजनों की ओर से शिकायतें मिल रही थीं। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले। फुटेज में मनोज लगातार इमरजेंसी वार्ड में घूमता और मरीजों से बातचीत करता नजर आया। इस आधार पर उस पर निगरानी बढ़ाई गई। गिरफ्तारी के समय वह इमरजेंसी वार्ड के बेड नंबर एबी-5 पर भर्ती मरीज चंदा चौबे के परिजन शशि भूषण चौबे से पैसों का लेनदेन कर रहा था। जैसे ही पुलिस को सूचना मिली, उसे रंगेहाथों गिरफ्तार कर लिया गया।
अस्पताल प्रशासन और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई
गिरफ्तारी के बाद मनोज को शास्त्रीनगर थाना पुलिस के हवाले कर दिया गया। उसे जेल भेज दिया गया है। अस्पताल प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि मरीजों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और ऐसे किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा जो अस्पताल परिसर में अवैध गतिविधि चलाए। अब पुलिस उन अन्य दलालों की भी तलाश में है, जो मनोज के नेटवर्क का हिस्सा हो सकते हैं। शुरुआती पूछताछ से संकेत मिले हैं कि यह एक संगठित गिरोह है जो कई महीनों से सक्रिय था। पुलिस का कहना है कि जल्द ही इस नेटवर्क के सभी सदस्यों को गिरफ्तार किया जाएगा।
अस्पतालों में दलाली का बढ़ता खतरा
यह घटना उन समस्याओं को भी उजागर करती है जो बड़े सरकारी अस्पतालों में अक्सर देखी जाती हैं। बड़े अस्पतालों में भीड़ अधिक होती है और मरीजों के परिजन जानकारी के अभाव में जल्दी विश्वास कर लेते हैं। ऐसे में दलाल सक्रिय हो जाते हैं और लोगों की मजबूरी का नाजायज फायदा उठाते हैं। यह न केवल आर्थिक शोषण है, बल्कि कई मामलों में मरीजों के उपचार में भी देरी कराता है। आईजीआईएमएस में पकड़ा गया यह मामला सिर्फ एक दलाल की गिरफ्तारी भर नहीं है, बल्कि अस्पतालों में व्याप्त अव्यवस्था और दलाली की समस्या की ओर गंभीर संकेत है। इस कार्रवाई के बाद उम्मीद है कि अस्पताल प्रशासन और पुलिस दोनों मिलकर ऐसे लोगों के खिलाफ और सख्ती दिखाएंगे। मरीजों की परेशानी का फायदा उठाने वाले दलालों पर अंकुश लगाना स्वास्थ्य व्यवस्था की विश्वसनीयता के लिए जरूरी है। पुलिस की आगे की कार्रवाई से यह स्पष्ट होगा कि यह नेटवर्क कितना बड़ा था और कितने लोग इसमें शामिल थे।

You may have missed