विधेयक पर मचे बवाल के बीच डीजीपी, गृह सचिव और डीजी बीएमपी ने गलतफहमियों को किया दूर, कहा- विधेयक में ‘यूज आफ फोर्स’ की बात कहीं नहीं

पटना। बिहार विधानसभा और परिषद में पारित हुए बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 को लेकर बिहार में जंग छिड़ा हुआ है। इस बिल को लेकर सत्र के अंतिम दो दिन सदन में जमकर हंगामा हुआ। गुरुवार को बिहार के डीजीपी एसके सिंघल, अपर मुख्य सचिव गृह चैतन्य प्रसाद और डीजी बीएमपी आरएस भट्ठी ने एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस करके विधेयक के बारे में गलतफहमियों को दूर करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में ‘यूज आफ फोर्स’ की बात कहीं नहीं लिखी। यह विधेयक सिर्फ राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित कुछ खास प्रतिष्ठानों की सूरक्षा के लिए है।
जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या बिहार विशेष सशस्त्र बल के अधिकारी और जवान किसी आरोपी के घर की तलाशी ले सकते हैं? इस सवाल के जवाब में डीजीपी ने बताया कि एक्ट के तहत अधिसूचित प्रतिष्ठान जैसे एयरपोर्ट आदि जगहों पर किसी संदिग्ध के मिलने पर बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बल उसे गिरफ्तार करके जितना जल्दी संभव होगा, स्थानीय पुलिस को सौंप देगा। यदि गिरफ्तारी के वक्त वहां सिविल पुलिस का कोई अधिकारी मौजूद है तो आरोपी को वहीं उसे सौंप दिया जाएगा। आगे की सारी जांच स्थानीय पुलिस करेगी। विशेष सशस्त्र पुलिस बल का अधिकारी एक रिपोर्ट देगा कि उसने अमुक व्यक्ति की गिरफ्तारी क्यों और किन परिस्थितियों में की है। उन्होंने कहा कि इस बल का इस्तेमाल बेहद सीमित उद्देश्य से किया जाना है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जिन प्रतिष्ठानों को अधिसूचित किया जाएगा, उनकी सुरक्षा का जिम्मा इस बल पर होगा।
डीजी बिहार मिलिट्री पुलिस (बीएमपी) आरएस भट्ठी ने एक्ट की धारा-9 का उल्लेख करते हुए बताया कि इसमें स्पष्ट प्रावधान है कि विशेष सशस्त्र बल किसी संदिग्ध को पकड़कर बिना किसी विलंब के तुरंत स्थानीय पुलिस को सौंपेगा। मौके पर कोई पुलिस अधिकारी मौजूद है तो वहीं, अन्यथा नजदीकी पुलिस थाने पर स्वयं ले जाकर या किसी को भेजकर। वहीं अपर मुख्य सचिव गृह चैतन्य प्रसाद ने बताया कि सशस्त्र पुलिस बल के लोग भी यदि कोई कानून तोड़ते हैं तो उन्हें आईपीसी और सीआरपीसी की सुसंगत धाराओं के तहत दोषी साबित कर दंडित कराया जा सकेगा।

About Post Author

You may have missed